पिलानी, 24 अप्रैल 2025: सीएसआईआर-सीरी, पिलानी में दो दिवसीय प्रशासनिक हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन संस्थान के पुराने सभागार में किया गया। उद्घाटन सत्र में संजीव शंकर, उपसचिव, सीएसआईआर-भर्ती एवं मूल्यांकन बोर्ड, नई दिल्ली, विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सत्र की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक डॉ. पी. सी. पंचारिया ने की।

इस कार्यशाला का उद्देश्य संस्थान में कार्यरत नए एवं अन्य कर्मचारियों को प्रशासनिक कार्यों में राजभाषा हिंदी के प्रभावी एवं सहज प्रयोग हेतु प्रशिक्षित करना तथा संबंधित नियम, प्रक्रियाएँ और विधिक पहलुओं की जानकारी प्रदान करना था।
अध्यक्षीय संबोधन में डॉ पंचारिया ने राजभाषा हिंदी के संवर्धन और उसके उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने नए सहकर्मियों सहित सभी प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे समय का महत्व समझें। आत्मनिर्भर भारत, विकसित भारत सहित अन्य मिशनों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वे सीएसआईआर के उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक बनें तथा सेवा भावना से कार्य करें। विशिष्ट अतिथि संजीव शंकर ने अपने संबोधन में प्रतिभागियों से कहा कि अध्ययनरत रहते हुए सदा नया सीखने का प्रयास करें और दुविधा होने पर वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करें।
इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को संघ की राजभाषा नीति के अनुपालन सहित आचरण नियमों, सतर्कता एवं विधिक मामलों सहित टिप्पण एवं प्रारूप लेखन के संबंध में अवगत कराया गया। कार्यशाला के दौरान निम्नलिखित विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किए गए: 1. आचरण नियम, सतर्कता एवं विधिक मामले – संजीव शंकर, उपसचिव, सीएसआईआर-आरएबी; 2. भारतीय संविधान तथा संघ की राजभाषा नीति – मणिभूषण सिंह, हिंदी अधिकारी; 3. कार्यालय पद्धति, टिप्पण एवं प्रारूप लेखन – जयशंकर शरण, प्रशासन नियंत्रक ; 4. राजभाषा का सहज उपयोग – रमेश बौरा, वरिष्ठ हिंदी अधिकारी तथा 5. ई-ऑफिस परिचय एवं उपयोग – विनय सिंह, सहायक अनुभाग अधिकारी

कार्यशाला के दौरान एक विशेष सत्र का भी आयोजन किया गया जिसमें संजीव शंकर ने संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ पदोन्नति एवं मूल्यांकन से संबंधित विषयों पर चर्चा की तथा उन्हें तत्संबंधी आवश्यक परिवर्तनों से अवगत कराया। कार्यशाला में प्रशासनिक कार्मिकों के अतिरिक्त वैज्ञानिक एवं तकनीकी कर्मचारियों ने भी सहभागिता की। इस दो दिवसीय कार्यशाला का सफल संयोजन एवं समन्वयन वरिष्ठ हिंदी अधिकारी रमेश बौरा द्वारा किया गया।