झुन्झुनू, 26 अगस्त 2024: आज पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। इस वर्ष का यह पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस बार जन्माष्टमी पर जयंती योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इसके अलावा, सर्वार्थ सिद्धि योग भी आज के दिन को और भी शुभ बना रहा है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले गृहस्थ जनों के लिए यह एक विशेष अवसर है, जब वे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को विधिपूर्वक मनाकर अपने जीवन को मंगलमय बना सकते हैं। न्यूज़ 18 के अनुसार महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पाण्डेय से जानते हैं जन्माष्टमी के मुहूर्त, मंत्र, भोग, पूजा विधि आदि के बारे में।
जन्माष्टमी 2024 मुहूर्त और योग
इस वर्ष भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि का शुभारंभ आज, 26 अगस्त को तड़के 3 बजकर 39 मिनट से हुआ है, और इसका समापन कल, 27 अगस्त को तड़के 2 बजकर 19 मिनट पर होगा। रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ आज दोपहर 3:55 बजे से हो गया है, और इसका समापन कल दोपहर 3:38 बजे होगा। जन्माष्टमी का प्रमुख पूजा मुहूर्त आज रात 12:01 बजे से 12:45 बजे तक है, जो व्रतधारियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
जयंती योग का महत्त्व
विष्णु पुराण के अनुसार, भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में वृषभ राशि के चंद्रमा के अंतर्गत भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस वर्ष भी इसी प्रकार का संयोग बन रहा है, जिससे आज जन्माष्टमी के दिन जयंती योग का निर्माण हुआ है। यह योग अत्यंत शुभ माना जाता है और विशेष रूप से फलदायी होता है। इसके साथ ही, सर्वार्थ सिद्धि योग भी दोपहर 3:55 बजे से कल सुबह 5:57 बजे तक बना रहेगा, जो इस पर्व को और भी अधिक महत्वपूर्ण बना देता है।
जन्माष्टमी पूजा विधि और मंत्र
इस पावन पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए:
- ओम कृष्णाय वासुदेवाय गोविंदाय नमो नमः
- ओम नमो भगवते वासुदेवाय
पंचामृत से स्नान के समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें: “पंचामृतं मयाआनीतं पयोदधि घृतं मधु, शर्करा च समायुक्तं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।”
श्रीकृष्ण को अर्पित करें विशेष भोग
भगवान श्रीकृष्ण के भोग में माखन, मिश्री, पंजीरी, मालपुआ, खीर, रसगुल्ला, राजभोग, केसर घेवर, पेड़ा, पंचामृत, हलवा आदि शामिल करें। ये सभी भोग वस्तुएं भगवान को अत्यंत प्रिय मानी जाती हैं और इनसे उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
पूजा विधि
आज सुबह स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहने। बाल गोपाल की मूर्ति को पालने में रखकर उनकी झांकी सजाएं और पूजा की तैयारी करें। पूजा के दौरान, शंख में पंचामृत रखकर बाल गोपाल का अभिषेक करें। चंदन, फूल, माला, अक्षत्, वस्त्र, मोरमुकुट, कंगन, बाली आदि से लड्डू गोपाल का श्रृंगार करें। पूजा के अंत में भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें और उनकी कृपा प्राप्त करें।
व्रत पारण का समय
जो लोग आज व्रत रख रहे हैं, वे रात 12:45 बजे के बाद लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव मनाकर पारण कर सकते हैं। इसके अलावा, पारण का समय कल सुबह 05:57 बजे के बाद और रोहिणी नक्षत्र के समापन के बाद दोपहर 03:38 बजे से भी है। गृहस्थ जनों के लिए यह सलाह दी जाती है कि वे आज रात 12:45 बजे के बाद ही पारण करें।