Tuesday, July 8, 2025
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शिक्षा विभाग में कार्य विभाजन को लेकर शिक्षक संगठनों का विरोध तेज, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

झुंझुनूं, 7 जुलाई: जिले में शिक्षा विभाग से जुड़े शिक्षक संगठनों और अधिकारियों ने सोमवार को झुंझुनूं जिला कलेक्टर अरुण गर्ग को एक ज्ञापन सौंपकर मंत्रालयिक संवर्ग से जुड़े पूर्ववर्ती निर्णयों को फिर से लागू करने के प्रयासों का विरोध दर्ज कराया। पिलानी ब्लॉक की मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी सुमन चौधरी के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मिला और शिक्षा विभाग में मंत्रालयिक कर्मचारियों को दी जा रही कार्यप्रणाली संबंधी छूट को अनुचित बताते हुए उसे निरस्त करने की मांग की।

ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा शिक्षा विभाग में मंत्रालयिक संवर्ग को कुछ विशेषाधिकार प्रदान किए गए थे, जिन्हें वर्तमान सरकार ने 2 जुलाई 2025 को खारिज कर तार्किक व्यवस्था बहाल की थी। परंतु अब मंत्रालयिक वर्ग द्वारा इन निर्णयों को फिर से लागू करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो विभागीय संतुलन और शिक्षा प्रशासन की कार्यशैली को प्रभावित कर सकते हैं।

शिक्षक संगठनों की मांग है कि मंत्रालयिक और शैक्षणिक संवर्ग के बीच कार्य का न्यायसंगत और स्पष्ट विभाजन होना चाहिए ताकि विभाग में समन्वय बना रहे। कलेक्ट्रेट पर एकत्रित होकर बड़ी संख्या में आए पदाधिकारियों और सदस्यों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन करते हुए चेतावनी दी कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो राज्य स्तर पर आंदोलन छेड़ा जाएगा।

इस प्रदर्शन में प्रमोद आबूसरिया, नवीन गढ़वाल, सुरेश पायल, परमेंद्र कुल्हार, उम्मेद डूडी, अशोक कटेवा, अशोक कुलहरी, राजेश जांगिड़, कुलदीप कुल्हरी, नीरज सिहाग, जयप्रकाश बुगालिया, राजकुमार बलवदा, राजकुमार सिहाग, भूपेंद्र मीना, दीपचंद लाखवान, धर्मेंद्र जाखड़, संदीप पुनिया, कपिल अहलावत, वेदप्रकाश नेहरा, विजय लाल, राधेश्याम, नरेंद्र जांगिड़, ममता यादव, सुमन वर्मा, सविता, राजबाला, सुनीता कंवर, सुमन पूनिया, मनोज झाझरिया, मुकेश लांबा और दिनेश पूनिया सहित अनेक शिक्षक और संगठन पदाधिकारी मौजूद रहे।

यह घटनाक्रम शिक्षा विभाग में कार्य संतुलन, प्रशासनिक अनुशासन और जिम्मेदारी के निर्धारण को लेकर जारी बहस का एक और संकेत है। ज्ञापन सौंपने की यह कार्रवाई केवल जिला स्तर पर नहीं रुकेगी, बल्कि इसे आगामी दिनों में राज्य स्तर पर ले जाने की रणनीति भी बनाई जा रही है। इससे स्पष्ट है कि शिक्षा विभाग में मंत्रालयिक और शैक्षणिक कर्मचारियों के बीच कार्य सीमा को लेकर खींचतान आने वाले समय में और तेज हो सकती है।

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