उत्तर प्रदेश, शाहजहांपुर: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में होली का उत्सव अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। यहां पर पारंपरिक रंगों की होली के साथ-साथ “जूतामार होली” भी खेली जाती है, जो इस क्षेत्र की खास परंपरा रही है। इसी वजह से प्रशासन ने इलाके में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष सुरक्षा इंतजाम किए हैं। संभावित तनाव को रोकने और सौहार्दपूर्ण माहौल बनाए रखने के उद्देश्य से शहर की 67 मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया गया है। यह निर्णय मुस्लिम समुदाय की सहमति और प्रशासनिक अधिकारियों के परामर्श से लिया गया है।
मस्जिदों की सुरक्षा के लिए तैनात की गई पुलिस
शाहजहांपुर में होली का उत्सव एक हफ्ते पहले से ही प्रारंभ हो चुका है। रंगों के इस त्योहार के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए प्रशासन ने मस्जिदों के बाहर सुरक्षा बलों की तैनाती की है। चूंकि इस दौरान हुरदंग की भी संभावना रहती है, इसलिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। किसी भी असामाजिक तत्व द्वारा मस्जिदों पर रंग डालने से रोकने के लिए विशेष पुलिस बल और पीएसी को सक्रिय रखा गया है।

शहर में पीस कमेटी की बैठक कर इस संबंध में सभी समुदायों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की गई है। बैठक के दौरान मुस्लिम समाज के लोगों ने प्रशासन का सहयोग करने की बात कही और यह सुनिश्चित किया कि मस्जिदों को तिरपाल से ढकने के फैसले पर किसी प्रकार की आपत्ति नहीं है।
67 मस्जिदों को तिरपाल से ढकने का निर्णय
होली के अवसर पर प्रशासन और मुस्लिम समुदाय के बीच आपसी सहमति से यह निर्णय लिया गया कि इलाके की 67 मस्जिदों को तिरपाल से ढका जाएगा। इसका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ इलाके में शांति और सौहार्द बनाए रखना है।
पीस कमेटी की बैठक में जिला प्रशासन ने यह प्रस्ताव रखा था, जिसे मुस्लिम समाज ने बिना किसी ऐतराज के स्वीकार किया। इसके साथ ही मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी यह स्पष्ट किया कि यह कदम शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया है और मुस्लिम समुदाय इस फैसले का समर्थन करता है।
कैसे खेली जाती है शाहजहांपुर की जूतामार होली?
शाहजहांपुर में होली के दौरान “जूतामार होली” खेली जाती है, जो कि उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों की होली से काफी अलग है। इस अनूठी होली में करीब 10 किलोमीटर लंबा जुलूस निकाला जाता है, जिसमें एक बैलगाड़ी पर “लाट साहब” नामक व्यक्ति को बैठाया जाता है।
इस जुलूस के दौरान लोग लाट साहब बने व्यक्ति को प्रतीकात्मक रूप से जूते मारते हुए पूरे शहर में घुमाते हैं। यह परंपरा ब्रिटिश शासन के दौरान उनके अधिकारियों का मजाक उड़ाने के प्रतीक के रूप में शुरू हुई थी, जो अब तक चली आ रही है।
हजारों की संख्या में लोग इस जुलूस में शामिल होते हैं, जिसके कारण प्रशासन को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ती है। संभावित अव्यवस्था से बचने के लिए प्रशासन ने निगरानी बढ़ा दी है और संवेदनशील स्थानों पर विशेष पुलिस बल तैनात किए गए हैं।

प्रशासन की तैयारियां और सुरक्षा के कड़े इंतजाम
शहर में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। शाहजहांपुर में होली और जुलूस की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए स्थानीय खुफिया इकाई (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट – LIU) को सक्रिय किया गया है।
- सादी वर्दी में पुलिस बल को तैनात किया गया है ताकि कोई भी शरारती तत्व माहौल बिगाड़ने की कोशिश न करे।
- संवेदनशील इलाकों में ड्रोन कैमरों से निगरानी की जा रही है।
- शहर के विभिन्न इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है।
- शहर के प्रमुख चौक-चौराहों और धार्मिक स्थलों के आसपास पुलिस गश्त बढ़ाई गई है।
मुस्लिम समुदाय ने दी अपनी प्रतिक्रिया
मस्जिदों को तिरपाल से ढकने के फैसले पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी सहमति जताई है। उनका कहना है कि यदि मस्जिद पर रंग डाला जाता है तो इससे अनावश्यक विवाद हो सकता है। इसलिए कुछ दिनों के लिए मस्जिदों को तिरपाल से ढकना सही निर्णय है।
धर्मगुरुओं का कहना है कि प्रशासन द्वारा किए गए इस फैसले का उद्देश्य सिर्फ सामाजिक सौहार्द और शांति व्यवस्था बनाए रखना है, जिसे सभी को मिलकर सफल बनाना चाहिए।