वॉशिंगटन डीसी: व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत एक अत्यंत रणनीतिक सहयोगी है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तथा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच व्यक्तिगत संबंध काफी मजबूत हैं। लेविट ने कहा कि ट्रम्प इन संबंधों को भविष्य में और आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका दौरे पर हैं और क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग ले रहे हैं। इसी दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में “आतंकवाद की मानवीय लागत” पर आधारित एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य राज्य प्रायोजित आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक चेतना बढ़ाना है।
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान एएनआई के एक सवाल पर कैरोलिन लेविट ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी के बीच विश्वास पर आधारित सहयोगात्मक रिश्ता है और दोनों नेता इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थायित्व और शांति सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
गौरतलब है कि 18 जून को यह जानकारी सामने आई थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने नई दिल्ली में वर्ष के अंत में प्रस्तावित क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेने के प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कनाडा में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई दोनों नेताओं की बातचीत का विवरण साझा करते हुए बताया था कि राष्ट्रपति ट्रम्प भारत आने को लेकर उत्साहित हैं।
क्वाड समूह भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक रणनीतिक साझेदारी है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थायित्व, सुरक्षा और समावेशी विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इसकी स्थापना वर्ष 2004 में हुई थी।
भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते को लेकर भी व्हाइट हाउस ने संकेत दिए हैं। प्रेस सचिव लेविट ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने हाल ही में कहा है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक सहमति लगभग तय हो चुकी है। वाणिज्य सचिव के साथ हुई बातचीत में उन्होंने इस विषय पर जानकारी साझा की है और भारत को लेकर विशेष तैयारी की जा रही है। उम्मीद जताई गई है कि जल्द ही इस विषय में राष्ट्रपति और उनकी व्यापार टीम कोई औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।
व्हाइट हाउस की यह टिप्पणी भारत-अमेरिका संबंधों में तेजी और क्वाड जैसे कूटनीतिक मंचों के बढ़ते महत्व की पुष्टि करती है।