वाशिंगटन, अमेरिका: व्हाइट हाउस ने अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय मीडिया कवरेज की दिशा में बड़ा और विवादास्पद कदम उठाया है। नई मीडिया नीति के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित समाचार एजेंसियों – रॉयटर्स, एसोसिएटेड प्रेस (AP) और ब्लूमबर्ग – को व्हाइट हाउस के पारंपरिक प्रेस पूल से स्थायी रूप से बाहर कर दिया गया है। इस निर्णय ने प्रेस की स्वतंत्रता और निष्पक्ष कवरेज को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या होता है व्हाइट हाउस प्रेस पूल?
व्हाइट हाउस प्रेस पूल, 1953 में राष्ट्रपति ड्वाइट डी. आइजनहावर के कार्यकाल में शुरू किया गया था, जिसमें चुनिंदा मीडिया संस्थानों के पत्रकारों को राष्ट्रपति की प्रतिदिन की गतिविधियों की कवरेज करने का अधिकार मिलता है। प्रेस पूल का गठन इसलिए किया गया था ताकि पत्रकारों की भीड़ को सीमित कर एक व्यवस्थित तरीके से सूचना का प्रसार किया जा सके।

पूल में शामिल पत्रकारों को ओवल ऑफिस, प्रेस ब्रीफिंग रूम और राष्ट्रपति के विशेष विमान ‘एयर फोर्स वन’ तक विशेष पहुंच मिलती है। बाकी मीडिया संस्थान इन्हीं पूल में शामिल रिपोर्टरों की रिपोर्टिंग पर निर्भर रहते हैं।
व्हाइट हाउस कॉरेस्पॉन्डेंट एसोसिएशन की भूमिका समाप्त
व्हाइट हाउस की नई नीति के तहत अब 111 साल पुरानी ‘व्हाइट हाउस कॉरेस्पॉन्डेंट एसोसिएशन’ (WHCA) की भूमिका भी समाप्त कर दी गई है। WHCA एक स्वतंत्र संगठन था जिसकी स्थापना 1914 में हुई थी और यह तय करता था कि प्रेस पूल में कौन-कौन से पत्रकार या संस्थान होंगे। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि राष्ट्रपति या प्रशासन अपनी पसंद के पत्रकारों को चुनकर पक्षपात न कर सकें।
अब प्रेस पूल में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और पॉडकास्टर
व्हाइट हाउस की नई प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि अब हर दिन प्रेस पूल के सदस्यों का चयन व्हाइट हाउस की टीम द्वारा किया जाएगा। लेविट ने यह भी कहा कि “इस नीति का उद्देश्य राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संदेश को सही ऑडियंस तक पहुंचाना है।” इसके तहत पॉडकास्टर, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और न्यूज कंटेंट क्रिएटर्स को भी प्रेस पूल में शामिल किया जाएगा, जिससे अधिक विविधता आएगी।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों की तीखी प्रतिक्रिया
रॉयटर्स, एपी और ब्लूमबर्ग जैसी एजेंसियों ने इस नीति की आलोचना करते हुए इसे “स्वतंत्र पत्रकारिता पर सीधा हमला” बताया। उनके संयुक्त बयान में कहा गया:
“हमारी रिपोर्टिंग हर दिन अरबों लोगों तक पहुंचती है। सरकार का यह कदम स्वतंत्र और सटीक जानकारी के लिए अपना स्रोत चुनने के जनता के अधिकार को खत्म करता है।”
इन संस्थाओं ने यह भी आशंका जताई कि अब पत्रकारों को व्हाइट हाउस और राष्ट्रपति से जुड़ी विश्वसनीय जानकारी तक पहुंचने में काफी कठिनाई होगी।

प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर प्रभाव
विश्लेषकों और मीडिया अधिकार संगठनों का मानना है कि व्हाइट हाउस का यह कदम अमेरिकी लोकतंत्र के मूल स्तंभ – स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस – को कमजोर करता है। कई पत्रकार संगठनों ने इस नीति को “पक्षपाती कवरेज को बढ़ावा देने वाला” करार दिया है। साथ ही यह भी चिंता जताई जा रही है कि अब राष्ट्रपति केवल उन्हीं पत्रकारों को सवाल पूछने देंगे जो उनकी विचारधारा से मेल खाते हों।