“नोटः- राजस्थान पंजीयन नियम 1955 के तहत उप पंजीयक को पंजीयन के समय दस्तावेज की वैद्यता की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है। जिस प्रकार का स्वामित्व विक्रेता के पास था, उसी प्रकार का स्वामित्व क्रेता को हस्तांतरित समझा जावे।”
प्राॅपर्टी की रजिस्ट्री के नीचे महज यह एक नोटिंग.. और उसके बाद किसी भी तरह की सम्पत्ति की रजिस्ट्री सम्भव है। फिर वो सम्पत्ति विवादित हो या गैर विवादित, आबादी भूमि में हो या कहीं और, कोई नियम आपकी रजिस्ट्री को नहीं रोक सकता। बशर्ते आप इस देश के सिर्फ आम नागरिक न हों और नियमों से खेलने का हुनर जानते हों। मजे की बात यह है कि उपरोक्त नोटिंग उप पंजीयक कार्यालय में होने वाली सभी रजिस्ट्री पर नहीं की जाती, बल्कि कुछ खास रजिस्ट्रियों के लिए रास्ता निकालने के उद्देश्य से यह नोटिंग की जाती है।
पिलानी में ऐसी ही रजिस्ट्री धड़ल्ले से बन रही हैं और वो भी तब, जब यहां नगरपालिका के चेयरमैन द्वारा रजिस्ट्री से पहले लिखित आपत्ति उप पंजीयक को दी गई थी।
विद्या विहार नगरपालिका चेयरमैन कमलेश रणवा ने अधिशाषी अधिकारी भरत कुमार हरितवाल और उप पंजीयक कार्यालय पर भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के गम्भीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि अधिशाषी अधिकारी ने सम्पत्ति सम्बंधी फर्जी प्रमाण पत्र जारी कर दिया, जिसके आधार पर तहसील कार्यालय में इन संपत्तियों की रजिस्ट्री करवाई गई है। चेयरमैन कमलेश रणवा का कहना है कि नगरपालिका विधि विशेषज्ञों से राय ले रही है, जिसके बाद जिम्मेदार सभी लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जायेगी। रणवा का आरोप है कि उप पंजीयक कार्यालय अब एफआईआर से बचने के लिए रजिस्ट्री में इस्तेमाल किए गए फर्जी प्रमाण पत्रों की नकल नहीं दे रहा है।
चेयरमैन रणवा ने जानकारी देते हुए बताया कि कस्बे में बिरला एजुकेशन ट्रस्ट की कुछ सम्पत्तियां हैं, जो नगरपालिका के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। बिरला परिवार की ऐसी सम्पत्तियां पिछले काफी समय से भू माफियाओं के निशाने पर हैं। इन सम्पत्तियों के रख-रखाव और सार-संभाल के लिए बाकायदा ट्रस्ट है। ट्रस्ट के स्थानीय प्रतिनिधि, नगरपालिका और तहसील के अधिकारियों तथा भू माफियाओं के साथ मिली भगत कर इन सम्पत्तियों का बेखौफ बेचान कर रहे हैं।
मौजूदा मामला शहर के भगत सिंह सर्किल से अम्बेडकर स्मृति स्थल के बीच पिलानी नगरपालिका के वार्ड नं 21 स्थित ट्रस्ट की 3 अलग-अलग सम्पत्तियों से जुड़ा है। करोड़ों रुपए कीमत की इन सभी प्रॉपर्टीज को नियम कायदों को ताक पर रखते हुए फर्जीवाड़ा कर बेच दिया गया है। आरोप है कि पिलानी में प्रॉपर्टी खरीद फरोख्त के लिए बने गठजोड़ में शामिल कई लोगों ने इस गोरखधंधे में अपने वाले न्यारे किए हैं।
क्या है मामला
22 जुलाई को चेयरमैन कमलेश रणवा ने पिलानी तहसीलदार को पत्र लिख कर बताया कि पालिका क्षेत्र के ही कुछ लोगों के द्वारा पालिका के गृह कर रजिस्टर में सम्पत्तियों का अवैध रूप से इंद्राज करवा कर उक्त गृह कर रजिस्टर इंद्राज के आधार पर रजिस्ट्री करवा कर भूमि/भवनों का अवैध रूप से खरीद फरोख्त और बेचान किया जा रहा है जो कि विधि विरुद्ध है। चेयरमैन रणवा ने पत्र में नगरपालिका के गृह कर रजिस्टर में किए गए इंद्राज के आधार पर किसी भी प्रकार की कोई रजिस्ट्री नहीं किए जाने के लिए लिखित आपत्ति दर्ज करवाई थी।
22 जुलाई को ही चेयरमैन कमलेश रणवा ने विद्या विहार नगरपालिका ईओ भरत कुमार हरितवाल को भी बिना उनके संज्ञान में लाए पालिका के गृह कर रजिस्टर में किसी भी नवीन सम्पत्ति का इंद्राज नहीं किए जाने के लिए लिखित आदेश जारी करते हुए पाबन्द किया था।
यही नहीं 24 जुलाई को चेयरमैन रणवा ने जिला कलेक्टर को भी नियमों का हवाला देते हुए ट्रस्ट की सम्पत्तियों की जानकारी देते हुए इनकी रजिस्ट्री न करने के लिए तहसीलदार पिलानी को पाबन्द करने के लिए आदेश जारी करने हेतु पत्र सौंपा था।
चेयरमैन कमलेश रणवा ने 26 जुलाई को विद्या विहार नगरपालिका के वरिष्ठ सहायक को भूमि शाखा के समस्त गृह कर रजिस्टर के आधार पर ट्रस्ट के नाम से किए गए नामान्तरण की जानकारी लिखित में मांगी गई थी। वरिष्ठ सहायक अशोक कुमार ने इसका लिखित जवाब प्रस्तुत कर जानकारी दी कि ट्रस्ट के नाम से किसी सम्पत्ति का नामान्तरण इन दिनों में किसी भी रजिस्टर में दर्ज नहीं किया गया है।
बड़ा सवाल यह है कि नगरपालिका के गृह कर रजिस्टर में जिस सम्पत्ति का इंद्राज ही नहीं हुआ, उसका प्रमाण पत्र ईओ द्वारा जारी कैसे कर दिया गया।
उप पंजीयक की भूमिका पर भी सवाल
जमीन की रजिस्ट्री को लेकर उप पंजीयक की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में जबकि खुद नगरपालिका चेयरमैन ने रजिस्ट्री न बनाने के लिए लिखित आपत्ति दर्ज करवाई थी, फिर उप पंजीयक ने कैसे आनन-फानन में इन सम्पत्तियों की रजिस्ट्री कर दी।
चेयरमैन ने ईओ की पोस्टिंग पर भी खड़े किए सवाल
चेयरमैन कमलेश रणवा ने बताया कि पिलानी में फर्जी प्रमाण पत्रों के माध्यम से बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीद-फरोख्त और रजिस्ट्री का गोरख धंधा चल रहा है। ईओ भरत कुमार हरितवाल द्वारा भू माफियाओं के साथ मिल कर भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। चेयरमैन रणवा का कहना है मौजूदा ईओ भरत कुमार हरितवाल भ्रष्टाचार के मामले में जेल जा चुके हैं और डीएलबी द्वारा इनको फील्ड पोस्टिंग नहीं दिए जाने के आदेश भी जारी किये गए हैं, फिर कैसे बार-बार इन्हें ईओ बना कर नगरपालिका में भेजा जा रहा है।
चेयरमैन कमलेश रणवा ने फर्जी प्रमाण पत्र जारी किए जाने और आपत्ति के बावजूद रजिस्ट्री बनाने पर अड़ी आपत्ति दर्ज करवाते हुए सभी सम्बन्धित अधिकारियों/कर्मचारियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।