रूस-यूक्रेन युद्ध: रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से जारी युद्ध अभी तक किसी ठोस समाधान तक नहीं पहुंच सका है। इसी कड़ी में दोनों देशों के बीच गुरुवार को तुर्किए के इस्तांबुल में वार्ता प्रस्तावित है। हालांकि, इस अहम बातचीत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के व्यक्तिगत रूप से शामिल होने की संभावना कम है। पुतिन की जगह रूस का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल इस बैठक में भाग लेगा, जो इस्तांबुल पहुंचने की तैयारी में है।

इस वार्ता को लेकर रूस और यूक्रेन दोनों ही देशों ने अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल की घोषणा कर दी है। रूस की ओर से इस डेलिगेशन का नेतृत्व राष्ट्रपति के सहायक व्लादिमीर मेदिंस्की करेंगे। उनके साथ उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन, उप विदेश मंत्री मिखाइल गलुज़िन और सैन्य खुफिया प्रमुख इगोर कोस्त्युकोव भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहेंगे।
दूसरी ओर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने वार्ता से एक दिन पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने रूस की मंशा पर सवाल उठाए। जेलेंस्की ने लिखा, “आज तुर्किए में हमारी टीम की कई अहम मीटिंग हुई हैं। हम यह देखना चाहेंगे कि रूस की ओर से कौन आता है। इसके बाद ही यूक्रेन अपनी अगली रणनीति तय करेगा।”
Today we held several meetings with the team regarding the format in Türkiye. I am waiting to see who will come from Russia, and then I will decide which steps Ukraine should take. So far, the signals from them in the media are unconvincing.
— Volodymyr Zelenskyy / Володимир Зеленський (@ZelenskyyUa) May 14, 2025
We also hear that President Trump is… pic.twitter.com/DurxIKaMih
इस पोस्ट में जेलेंस्की ने एक चौंकाने वाला संकेत भी दिया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस वार्ता में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, अभी इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
जेलेंस्की ने उन सभी देशों और नेताओं का आभार व्यक्त किया है, जो रूस पर युद्ध रोकने का दबाव बना रहे हैं। उन्होंने अपने संदेश में कहा, “रूस लगातार युद्ध को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। मैं उन सभी देशों को धन्यवाद कहना चाहता हूं जो रूस पर दबाव बना रहे हैं, ताकि सार्थक बातचीत की स्थिति बन सके।”

गौरतलब है कि 2022 से शुरू हुए इस संघर्ष में अब तक हजारों नागरिकों और सैनिकों ने बलिदान दिया है। युद्ध की वजह से दुनियाभर में राजनीतिक, आर्थिक और मानवीय संकट पैदा हुआ है। अब तुर्किए में होने वाली यह वार्ता दोनों देशों के भविष्य और क्षेत्रीय स्थिरता के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है।