झुंझुनूं: बुधवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के विशेष मॉनिटर बालकृष्ण गोयल ने कलेक्ट्रेट सभागार में जिले के अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अब झुंझुनूं मानवाधिकार आयोग की विशेष निगरानी में रहेगा और किसी भी प्रकार की शिकायत को अधिकारी की जिम्मेदारी में लापरवाही माना जाएगा। गोयल ने बताया कि सड़कों पर गड्ढे, नलों में पानी की अनुपलब्धता, बिजली के झुके खंभे और इनके कारण होने वाली दुर्घटनाएं भी मानवाधिकार उल्लंघन की श्रेणी में आती हैं। अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि अपनी कार्यशैली में इस बात का विशेष ध्यान रखें।
उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि आयोग को देश के किसी भी हिस्से से सूचना मिल जाती है, इसलिए यह मत समझा जाए कि झुंझुनूं में हुई कोई बात छिपी रह सकेगी।
बैठक में उन्होंने जिले की जलापूर्ति और विद्युत व्यवस्था को लेकर भी नाराजगी प्रकट की। निर्देश दिए गए कि पानी की नियमित सैंपलिंग हो, थर्ड पार्टी से परीक्षण करवाया जाए और हर सप्ताह इसकी रिपोर्ट कलेक्टर समीक्षा बैठक में प्रस्तुत की जाए। बिजली विभाग को ट्रांसफॉर्मर की ऊंचाई को लेकर भी निर्देशित किया गया कि स्कूलों, कॉलेजों और मोहल्लों में लगे ट्रांसफॉर्मर तय मानकों के अनुसार स्थापित हों।
सुबह बीडीके अस्पताल के निरीक्षण के दौरान उन्हें अनेक अनियमितताएं मिलीं। अस्पताल के सामने स्थित सोनोग्राफी सेंटरों के बाहर पंजीकरण नंबर नहीं पाए गए। जब उन्होंने डिप्टी सीएमएचओ से बीडीके अस्पताल में सोनोग्राफी नहीं होने का कारण पूछा तो उन्हें रेडियोलॉजिस्ट की अनुपलब्धता बताई गई। अधिकारियों को यह तक जानकारी नहीं थी कि अस्पताल में कितनी सोनोग्राफी मशीनें हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी सेंटरों के बाहर पंजीकरण संख्या अनिवार्य रूप से अंकित की जाए और समय-समय पर उनकी जांच हो।
पालना गृह के निरीक्षण में घंटी न लगे होने पर उन्होंने नाराजगी जताई और पूछा कि कहीं उनके आने की जानकारी के कारण घंटी को हटाया तो नहीं गया। दिव्यांगों के लिए भी अस्पताल में व्यवस्था को लेकर वे असंतुष्ट दिखे। पर्ची काउंटर की ऊंचाई को अनुपयुक्त बताते हुए उन्होंने या तो काउंटर नीचा करने या रैंप बनवाने के निर्देश दिए। दिव्यांगों के लिए बनी खिड़की पर लगे खराब फ्लेक्स को तुरंत दुरुस्त करने की बात भी कही।
अस्पताल परिसर में पानी के कैंपर ज़मीन पर रखे होने और गिलास की अनुपलब्धता को लेकर भी नाराजगी जताई गई। उन्होंने निर्देश दिया कि पानी के कैंपर स्टैंड पर रखें जाएं और पीने के लिए गिलास की व्यवस्था की जाए। परिसर में खड़ी निजी एंबुलेंसों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने पूछा कि किस नियम के तहत इन्हें अस्पताल में खड़ा रहने की अनुमति है।
झुंझुनूं के कार्यवाहक पुलिस अधीक्षक देवेंद्र राजावत को निर्देश दिए गए कि शहर में पुलिस गश्त को बढ़ाया जाए, ताकि आमजन खुद को सुरक्षित महसूस कर सके। उन्होंने बताया कि देर रात निरीक्षण के दौरान उन्हें गश्त करते पुलिसकर्मी नजर नहीं आए।
मानवाधिकार के नाम पर कार्यरत गैर-सरकारी संगठनों को लेकर भी उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कोई संस्था अधिकारियों को धमकाने या दबाव बनाने का प्रयास करती है तो उसकी जानकारी तुरंत आयोग को दी जाए, क्योंकि राज्य में केवल राज्य मानवाधिकार आयोग ही अधिकृत निकाय है।
अंत में गोयल ने सभी अधिकारियों से कहा कि मानवाधिकारों की गंभीरता को समझते हुए अपने-अपने क्षेत्र में इसकी रक्षा सुनिश्चित करें। उन्होंने आश्वासन दिया कि जो कमियां पाई गई हैं, उन्हें एक सप्ताह में ठीक कर लिया जाए, अन्यथा अगली शिकायत मिलने पर सीधी कार्रवाई की जाएगी।