Friday, March 21, 2025
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राज्यसभा में गृह मंत्रालय पर चर्चा के दौरान अमित शाह और साकेत गोखले के बीच तीखी नोकझोंक

नई दिल्ली: राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद साकेत गोखले और गृह मंत्री अमित शाह के बीच तीखी बहस हो गई। गोखले द्वारा केंद्रीय एजेंसियों और गृह मंत्री पर की गई टिप्पणियों के जवाब में अमित शाह ने स्पष्ट कहा कि वे किसी की कृपा से नहीं, बल्कि जनता के आशीर्वाद से सात बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं।

गृह मंत्रालय पर चर्चा में उठा विवाद

राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कार्यों पर चर्चा चल रही थी। इसी दौरान साकेत गोखले ने चर्चा को मोड़ते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के मामलों का जिक्र करना शुरू कर दिया। इस पर अमित शाह ने टोका और कहा कि CBI गृह मंत्रालय के अंतर्गत नहीं आती। शाह ने कहा कि सांसद को यह समझना चाहिए कि गृह मंत्रालय और एजेंसियों की जिम्मेदारियां अलग-अलग हैं।

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अमित शाह का कड़ा जवाब

अमित शाह ने कहा, “यदि चर्चा गृह मंत्रालय पर हो रही है, तो उसे उसी विषय तक सीमित रहना चाहिए। अगर विस्तृत चर्चा करनी है, तो सभी विषयों पर चर्चा करने के लिए तैयार हूं। लेकिन फिलहाल हमें गृह मंत्रालय पर ही बात करनी चाहिए।” शाह ने आगे कहा कि कुछ सांसद जानबूझकर भ्रामक जानकारी फैला रहे हैं और अदालतों के आदेशों का भी सम्मान नहीं कर रहे हैं।

बंगाल हिंसा का मुद्दा भी आया सामने

अमित शाह ने कहा कि जिन CBI मामलों का जिक्र किया जा रहा है, वे सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश पर दर्ज किए गए हैं। उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा के मामलों में CBI की जांच इसलिए जरूरी हुई क्योंकि स्थानीय प्रशासन ने निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की। शाह ने कहा, “हमारे समर्थकों पर हमले हुए, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं हुईं। पीड़ित जब स्थानीय अदालतों में न्याय नहीं पा सके, तो उच्च न्यायालय गए और वहां से CBI जांच के आदेश हुए।”

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सीबीआई अदालतों की कमी पर सवाल

गृह मंत्री ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में सीबीआई मामलों की सुनवाई के लिए कोई विशेष अदालत नहीं है, जिससे मामलों का निपटारा लंबित है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इन अदालतों की स्थापना करनी चाहिए ताकि लंबित मामलों का तेजी से निपटारा हो सके।

सभापति की चेतावनी और बयान विलोपित

विवाद बढ़ने पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने साकेत गोखले को अपनी टिप्पणी वापस लेने को कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद सभापति ने उनके बयान को सदन की कार्यवाही से हटाने का आदेश दिया।

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