राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा पहली बार विधायक और मुख्यमंत्री बने है। उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ है। भजनलाल शर्मा के पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को साधना बड़ी चुनौती है। जबकि कांग्रेस के सियासी हमलों से भी निपटना है। सियासी जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन बेहतर रहता है विरोधी शांत रहेंगे। अगर कांग्रेस ने कुव 25 में से 7-8 सीटें जीत ली तो भजन लाल शर्मा की कुर्सी पर संकट के बादल उमड़-घुमड़ कर मंडराने लगे जाएंगे। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे कैंप के नेता फिलहाल चुप्पी साधे हुए है। यह तय माना जा रहा है कि वसुंधरा समर्थकों को मंत्री नहीं बनाया जा रहा है। ऐसे में उनकी छटपटाहट स्वाभाविक है। ऐसे में वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी सीएम भजन लाल के लिए सिरदर्द पैदा कर सकती है। फिलहाल मंत्रिमंडल के गठन पर पेच फंसा हुआ है।
एक धड़ा सीएम भजनलाल शर्मा को पचा नहीं पा रहा
सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी में ही एक धड़ा सीएम भजनलाल शर्मा को पचा नहीं पा रहा है। हालांकि, फिलहाल चुप्पी साधे हुए है। सियासी जानकारों का कहना है कि जब अशोक गहलोत की 2018 में सीएम बनाया गया था तो एक धड़ा नाराज हो गया था। लेकिन चुप रहा। ऐसी ही हालात बीजेपी में भी हो सकता है। हालांकि, सियासी जानकारों का यह भी कहना है कि बीजेपी में लीडरशिप मजबूत है। इसलिए ऐसा नहीं होगा।तारानगर में विधानसभा का चुनाव हारे पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ का आरोप है कि पार्टी के जयचंदों की वजह से उनको हार सामना करना पड़ा है। राठौड़ का इशारा वसुंधरा राजे गुट के सांसद रामसिंह कस्वां की तरफ माना जा रहा है। हालांकि, राठौड़ ने किसी का नाम नहीं लिया है। राठौड़ वसुंधरा राजे पर इशारों पर निशाना साधते रहे हैं। जबकि राठौड़ का भजनलाल शर्मा गुट का माना जाता है।
राजेंद्र राठौड़ ने किसे बताया जयचंद
सियासी जानकारों का कहना है कि राजेंद्र राठौड़ के पास लंबा अनुभव है। 7 बार विधायक रहे हैं। कई बार मंत्री। ऐसे सरकार की बागड़ोर राठौड़ के हाथ में ही रहने की संभावना है। आईएएस-आईपीएल को कहां लगाना है। राठौड़ ही तय कर सकते है। सियासी जानकारों का कहना है कि सचिवालय स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में पहले दिन ही सीएम भजन लाल शर्मा की मौजूदगी में संकेत दिए कि प्रशासन पर उनकी ही पकड़ रहेगी। भजन लाल शर्मा को चीजों का समझने में समय लग सकता है।