राजस्थान में वोटिंग होने के बाद अब नजरें 3 दिसंबर पर है। आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनवाल की नागौर जिले की खींवसर सीट पर 3 फीसदी कम वोटिंग हुई है। ऐसे में उनकी हवाइयां उड़ी हुई है। बेनीवाल त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हुए है। इसपी प्रकार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की तारानगर सीट पर भी पिछली बार की तुलना में 7.05 फीसदी वोटिंग अधिक हुई है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजेंद्र राठौड़ पिछड़ सकते हैं। नरेंद्र बुढ़ानिया यहां से विधायक हैं। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की झालरापाटन सीट पर वोटिंग परसेंटेज गिरा है। 2018 में यहां 78.43 प्रतिशत वोटिंग हुई थी वहीं इस बार 76.67 फीसदी वोटिंग।
इन मंत्रियों की हो सकती है हार
सीएम गहलोत के खासम-खास मंत्री शांति धारीवाल, बीडी कल्ला, उदयलाल आंजना, प्रमोद जैन, शाले मोहम्मद, अशोक चांदना, राजेंद्र यादव, सुखराम विश्नोई, सुभाष गर्ग के इलाकों में पिछली बार की तुलना में एक फीसदी से कम वोटिंग हुई है। हालांकि शाले मोहम्मद की पोकरण सीट पर तो इस बार सर्वाधिक वोटिंग हुई है। ऐसे में इन मंत्रियों की सीटों पर वोटिंग घटने का मतलब इनकी हार हो सकती है। वहीं, मंत्री शकुंतला रावत के क्षेत्र बानसूर में 4.26 प्रतिशत कम वोटिंग, कामां से जाहिदा खान की सीट पर 4 प्रतिशत, दौसा से मुरारीलाल मीणा की सीट पर 5.98 प्रतिशत वोटिंग, सिकराय से ममता भूपेश की सीट पर 2.96 प्रतिशत कम वोटिंग, महेंद्र जीत मालवीया की सीट पर 1.44 प्रतिशत, टीकाराम जुली की सीट पर 1.41 प्रतिशत और अर्जुन बामणिया की सीट पर 2.51 प्रतिशत वोटिंग कम हुई है। सियासी जानकारों का कहना है कि इन मंत्रियों की सीट फंस सकती है।
वोटर पैटर्न के हिसाब से खतरे के संकेत
राजस्थान में इस बार गहलोत के 7 मंत्रियों की सीटों पर बंपर वोटिंग हुई है। जबकि गहलोत की सीट सरदारपुरा में कम मतदान हुआ है। वहीं 18 मंत्रियों की सीटों पर भी कम मतदान हुआ है। सियासी जानकारों के अनुसार वोटर पैटर्न के हिसाब खतरे के संकेत है। 7 मंत्रियों की सीट फंसी हुई है। जबकि 18 मंत्रियों पर कम वोटिंग जीत का संकेत दे रही है। आमतौर पर यही माना जाता रहा है कि अधिक मतदान होने से सत्ताधारी दल को नुकसान होता है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार 74.96 प्रतिशत के आसपास वोटिंग हुई है। जो पिछली बार के 74.06 प्रतिशत के आंकड़े से एक फीसदी बढ़ गई है। 2018 की तुलना में वोटिंग प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी भी कई जगह हुई है।
पोकरण में 87.79 फीसदी मतदान
चुनाव अधिकारियों ने बताया कि राजस्थान में सबसे ज्यादा वोटिंग 87.79 फीसदी वोटिंग पोकरण में दर्ज की घई। दूसरे नंबर पर तिजारा रहा, जहां 85.15 फीसदी मतदान हुआ। सबसे कम मतदान प्रतिशत वाले दो स्थान मारवाड़ जंक्शन और अहोर रहे। मारवाड़ जंक्शन में 61.10 फीसदी और आहोर में 61.19 प्रतिशत मतदान हुआ। ये कोई पहली बार नहीं है जब पोकरण विधानसभा सीट पर बंपर वोटिंग हुई है। साल 2018 के चुनाव में भी यहां भारी मतदान रिकॉर्ड किया गया था। पोकरण से मंत्री सालेह मोहम्मद चुनाव लड़ रहे है।
इस बार 74.96 प्रतिशत वोटिंग हुई
विधानसभा चुनावों में इस बार 74.96 प्रतिशत वोटिंग हुई। जो पिछली बार से एक फीसदी ज्यादा है। जानकारों की मानें तो यही एक फीसदी वोट भाजपा-कांग्रेस के बीच 30-40 सीटों को फासला डाल सकता है। पिछले साल इसी एक फीसदी वोटों ने भाजपा को 163 से 73 और कांग्रेस को 21 से 99 तक पहुंचा दिया था। वहीं सात मंत्रियों की सीटों पर वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है। ऐसे में साफ संकेत है कि जनता उन्हें बदलना चाहती है।इस चुनाव में सीएम गहलोत समेत 18 मंत्रियों का वोटिंग प्रतिशत घटा है। हालांकि इनमें से भी 10 मंत्रियों के सीटों पर 1 फीसदी से भी कम अंतर है। वोटिंग पैटर्न से मंत्रियों की धड़कन कम-ज्यादा हो रही है। सबसे पहले बात करें सरदारपुरा सीट की तो इस बार 2.59 प्रतिशत वोटिंग में कमी आई है। इस सीट से सरकार का चेहरा रहे सीएम अशोक गहलोत मैदान में है। यह उनकी परंपरागत सीट रही है। 2018 में सरदारपुरा सीट पर 67.09 फीसदी वोटिंग हुई जो इस बार घटकर 64.50 पर पहुंच गई। वहीं सीकर की लक्ष्मणगढ़ सीट पर इस बार 2.08 प्रतिशत वोटिंग ज्यादा हुई है। वहीं विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी की सीट पर 1.76 प्रतिशत वोटिंग बढ़ी है। इस सीट पर भाजपा से मेवाड़ राजपरिवार के पूर्व सदस्य विश्वराज सिंह मैदान में हैं।
स्त्रोत – Live Hindustan न्यूज़