महाराष्ट्र: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। इस चुनावी माहौल में मराठा नेता मनोज जरांगे पाटील ने एक अहम निर्णय लेते हुए अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में न उतारने का ऐलान किया है। इससे पहले जरांगे ने लगभग 20-25 मराठा उम्मीदवारों को विधानसभा चुनाव में उतारने की बात कही थी। साथ ही, रविवार को उन्होंने पार्वती और दौंड विधानसभा सीटों पर दो उम्मीदवारों के समर्थन की घोषणा की, हालांकि उम्मीदवारों के नाम का खुलासा नहीं किया।
महायुति गठबंधन को मिल सकता है फायदा
मराठा उम्मीदवारों के चुनाव न लड़ने का निर्णय महायुति गठबंधन के लिए राहत की खबर माना जा रहा है। चुनाव में मराठा उम्मीदवारों के आने से मराठा, दलित और अल्पसंख्यकों का गठजोड़ बनता दिख रहा था, जिससे महायुति के वोटों में सेंध लगने की संभावना बढ़ गई थी। कई दलित और मुस्लिम नेताओं ने गुरुवार को जरांगे से मुलाकात की थी, जिससे महायुति को नुकसान होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। जरांगे के इस निर्णय से बीजेपी के वोट बैंक को नुकसान होने की संभावना भी कम हो गई है।
13 सीटों पर जरांगे ने किया था उम्मीदवारों का ऐलान
मनोज जरांगे पाटील ने पहले जिन 13 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की थी, उनमें से सात सीटें बीजेपी के पास हैं, जबकि दो सीटें शिवसेना, दो सीटें एनसीपी और दो सीटें कांग्रेस के पास हैं। ऐसे में इन सीटों पर मराठा उम्मीदवारों की गैरमौजूदगी से बीजेपी और महायुति को बड़ा लाभ हो सकता है।
विभिन्न सीटों पर समर्थन की रणनीति
जरांगे ने हदगांव (नांदेड़), फुलम्बरी, कन्नड़ (छत्रपति संभाजीनगर में), हिंगोली, पठारी (परभणी) जैसी सीटों पर अपने समर्थन की घोषणा पहले ही कर दी थी। इसके अतिरिक्त, जिंतूर (परभणी), कलामनुरी (हिंगोली), गंगापुर (छत्रपति संभाजीनगर), भोकरदन (जालना) और औसा (लातूर) के मौजूदा विधायकों को हराने के लिए भी वह प्रचार करने का इरादा रखते थे। हालांकि, अब उन्होंने अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का निर्णय लेकर सियासी समीकरण बदल दिए हैं।
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान, 23 नवंबर को परिणाम
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को एक चरण में मतदान होगा, जबकि 23 नवंबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे। मनोज जरांगे का यह निर्णय, चुनाव में मराठा मतदाताओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है और इससे महायुति गठबंधन को अपेक्षित लाभ मिलने की संभावना बनी हुई है।