महाराष्ट्र: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में मतगणना के रुझानों के अनुसार, महायुति गठबंधन ने स्पष्ट बढ़त हासिल की है और अब यह माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बन सकती है। महायुति के नेतृत्व में भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और एनसीपी का गठबंधन 288 सीटों में से 223 सीटों पर आगे चल रहा है, जबकि विपक्षी महाविकास अघाड़ी का प्रदर्शन कमजोर दिखाई दे रहा है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने अपनी ताकत का जोरदार प्रदर्शन करते हुए विपक्षी महाविकास अघाड़ी को पीछे छोड़ दिया है। विशेष रूप से, जिन सीटों पर शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के बीच सीधी टक्कर थी, उन सीटों पर शिंदे गुट के उम्मीदवारों ने बढ़त बनाई है।
क्या शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया गया है?
यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या महाराष्ट्र की जनता ने शिंदे की शिवसेना को ही असली शिवसेना मान लिया है? इस चुनाव में शिंदे गुट ने विपक्षी गठबंधन को पछाड़कर यह साबित कर दिया है कि उनके पास जनसमर्थन है। इसके बाद यह चर्चा का विषय बन गया है कि क्या यह स्थिति शिवसेना के भीतर के विभाजन का परिणाम है, या फिर शिंदे गुट की रणनीति को राज्य की जनता ने सही ठहराया है।
महायुति का प्रभाव और शिंदे की ताकत
राज्य में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने पूरे विपक्षी महाविकास अघाड़ी को पीछे छोड़ दिया है। महायुति गठबंधन में भाजपा और एनसीपी की भी अहम भूमिका है, लेकिन शिंदे गुट की रणनीति और नेतृत्व ने उनके पक्ष में हवा बनाई है। इस चुनाव में भाजपा ने 145 सीटों पर चुनाव लड़ा था और वर्तमान में वह 127 सीटों पर आगे चल रही है।
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बीजेपी नेता प्रवीण दरेकर ने इस संदर्भ में बयान दिया है कि राज्य में भाजपा और महायुति की सरकार बनेगी और महाराष्ट्र का विकास होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में मुख्यमंत्री भाजपा से ही होगा, और वह मानते हैं कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री के तौर पर शिंदे से आगे निकल सकते हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 में शिंदे गुट की सफलता
इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनाव में भी शिंदे गुट ने अच्छा प्रदर्शन किया था। शिंदे गुट ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि ठाकरे गुट ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था और केवल 9 सीटों पर जीत हासिल की थी। शिंदे गुट का स्ट्राइक रेट ठाकरे गुट से बेहतर साबित हुआ था, जो उनके नेतृत्व और चुनावी रणनीति के सफल होने का संकेत देता है।