महाराष्ट्र चुनाव परिणाम: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने प्रचंड जीत दर्ज की है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 288 विधानसभा सीटों में से 227 सीटों पर महायुति ने कब्जा किया है। दूसरी ओर, कांग्रेस गठबंधन मात्र 55 सीटों पर सिमट गया। यह जीत न केवल भाजपा के लिए उत्सव का कारण है, बल्कि आगामी सरकार के नेतृत्व को लेकर पेच भी खड़ा कर रही है।
मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर नजरें
महायुति की ऐतिहासिक जीत के बावजूद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर असमंजस बना हुआ है। भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता एकनाथ शिंदे दोनों ही दावेदारी में हैं। नागपुर दक्षिण-पश्चिम सीट से फडणवीस और कोपड़ी पचपाखड़ी सीट से शिंदे ने जीत दर्ज की है।
शिंदे गुट का तर्क है कि महायुति ने चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर मैदान में उतारा था। उनके नेतृत्व में ही राज्य सरकार की नीतियों और वादों को जनता ने भारी समर्थन दिया। दूसरी ओर, भाजपा के समर्थक मानते हैं कि पार्टी की मुख्य भूमिका और फडणवीस के पिछले अनुभव के आधार पर उन्हें यह पद मिलना चाहिए।
2019 जैसी स्थिति की पुनरावृत्ति?
2024 के परिणाम 2019 की स्थिति की याद दिलाते हैं। 2019 में भाजपा और शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था। भाजपा ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटें जीती थीं। लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद बढ़ गया, जिसके चलते शिवसेना ने गठबंधन तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाई।
इस बार शिवसेना दो गुटों में विभाजित है, और एनसीपी भी दो हिस्सों में बंटी हुई है। इन हालातों ने राजनीतिक समीकरण और अधिक पेचीदा बना दिए हैं।
शिंदे और भाजपा के बीच तालमेल की चुनौती
भाजपा और शिंदे गुट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर सहमति न बन पाना गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। हालांकि, 2019 के मुकाबले इस बार भाजपा बेहतर स्थिति में है। एनसीपी (अजित पवार गुट) ने भी मजबूत प्रदर्शन किया है। ऐसे में भाजपा के पास बहुमत के लिए दो सहयोगियों में से केवल एक का समर्थन होना पर्याप्त होगा।
शिंदे ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि मुख्यमंत्री के पद को लेकर चर्चा के बाद निर्णय लिया जाएगा।
भाजपा की रणनीति और महायुति की स्थिरता
भाजपा की रणनीति पर सबकी नजरें हैं। फडणवीस पहले भी मुख्यमंत्री पद का त्याग कर चुके हैं, और पार्टी ने उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाकर नैतिक बल दिखाया था। लेकिन अब महायुति के भीतर तालमेल बनाना और मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद को सुलझाना भाजपा के लिए प्राथमिकता होगी।