वाराणसी: काशी में सदियों से चली आ रही मसान होली इस बार विवादों में घिर गई है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के एक प्रोफेसर ने इस परंपरा पर सवाल उठाते हुए इसे शास्त्रों और पुराणों में उल्लिखित न होने का दावा किया है।
BHU प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने कहा, “भगवान शिव ने अपने जीवन में सुख-दुख को पूरी तरह से समाहित कर लिया था। वे हमारे आराध्य हैं। उनके जीवन लीलाओं की तुलना एक सामान्य व्यक्ति से कभी नहीं की जा सकती। शमशान घाट पर ऐसे किसी भी आयोजन का उल्लेख हमारे प्राचीन परंपराओं में नहीं है।”
विवाद का कारण
प्रोफेसर द्विवेदी का यह तर्क सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और लोगों ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दीं। कुछ लोगों ने प्रोफेसर द्विवेदी का समर्थन करते हुए कहा कि मसान होली एक अंधविश्वास है और इसे बंद कर दिया जाना चाहिए।
दूसरी ओर, कुछ लोगों ने कहा कि मसान होली एक प्राचीन परंपरा है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए।
क्या है मसान होली
मसान होली काशी में होली के अगले दिन मनाई जाती है। इस दिन लोग श्मशान घाट में जाकर होली खेलते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं।
विवाद का प्रभाव
इस विवाद के कारण मसान होली के आयोजन पर सवालिया निशान लग गया है। यह देखना बाकी है कि इस विवाद का इस परंपरा पर क्या प्रभाव पड़ता है।