नई दिल्ली: भारत सरकार ने 11 मार्च 2024 को एक अधिसूचना जारी कर देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू कर दिया है। यह अधिनियम संसद द्वारा पहले ही पारित किया जा चुका था।
CAA के तहत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। यह अधिनियम इन समुदायों के लोगों को “धार्मिक उत्पीड़न” से बचाने के लिए बनाया गया है।
CAA के मुख्य बिंदु:
यह अधिनियम 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करता है।यह अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता प्रदान करता है। इन लोगों को नागरिकता के लिए 12 साल भारत में रहने की आवश्यकता नहीं होगी। यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय के लोगों को नागरिकता नहीं देता है।
CAA के बारे में विवाद:
CAA के लागू होने के बाद से ही देश में इसके बारे में विवाद चल रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि यह अधिनियम धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है, जबकि अन्य लोगों का कहना है कि यह अधिनियम धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए लोगों को न्याय प्रदान करता है।
CAA के बारे में सरकार का रुख:
सरकार का कहना है कि CAA धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है और यह धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए लोगों को न्याय प्रदान करता है। सरकार का यह भी कहना है कि यह अधिनियम किसी भी भारतीय नागरिक के अधिकारों को नहीं छीनता है।
CAA के बारे में विपक्ष का रुख:
विपक्ष का कहना है कि CAA धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है और यह मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव करता है। विपक्ष का यह भी कहना है कि यह अधिनियम असंवैधानिक है।
CAA का भविष्य:
CAA के भविष्य को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। यह अधिनियम अभी भी कई राज्यों में न्यायालयों में चुनौती दी जा रही है।