Monday, December 22, 2025
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भारत में तकनीकी क्रांति: सीएसआईआर–सीरी का ₹1 करोड़ का मैग्नेट्रॉन करार, दुनिया ने भी दिखाई रुचि

पिलानी: भारत की सामरिक तकनीक क्षमता को नई दिशा देते हुए सीएसआईआर–सीरी पिलानी ने उच्च-शक्ति स्वदेशी मैग्नेट्रॉन तकनीक का ₹1 करोड़ का प्रौद्योगिकी हस्तांतरण टॉनबो इमेजिंग प्रा. लि. को किया है। यह करार न केवल आत्मनिर्भर भारत मिशन को मजबूत बनाएगा बल्कि हाई-पावर माइक्रोवेव टेक्नोलॉजी में भारत की तकनीकी संप्रभुता को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगा।

भारत की सामरिक तकनीक क्षमता को आगे बढ़ाते हुए पिलानी स्थित सीएसआईआर–सीरी ने टॉनबो इमेजिंग इंडिया प्रा. लि. के साथ उच्च-शक्ति मैग्नेट्रॉन तकनीक का तकनीकी हस्तांतरण समझौता किया। इस अनुबंधन पर अरविंद लक्ष्मी कुमार और अंकित कुमार ने औपचारिक हस्ताक्षर किए, जबकि संस्थान की ओर से डॉ पी सी पंचारिया तथा डॉ नीरज कुमार मौजूद रहे।

यह करार भारत की रणनीतिक इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों में स्वदेशी माइक्रोवेव स्रोतों के विकास को गति देगा और रक्षा व औद्योगिक अनुप्रयोगों में आयात-निर्भरता कम करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।

समारोह में यूएई से दो, कोलंबिया से दो और बेलारूस से एक प्रतिनिधि शामिल हुए। इन प्रतिनिधियों की मौजूदगी इस तकनीक की वैश्विक उपयोगिता और अंतरराष्ट्रीय उद्योग जगत में सीएसआईआर–सीरी की विश्वसनीयता को दर्शाती है।

सीरी के वैक्यूम इलेक्ट्रॉन डिवाइस समूह द्वारा विकसित यह उच्च-शक्ति मैग्नेट्रॉन तकनीक पूरी तरह इन-हाउस तैयार की गई है। यह प्रणाली उद्योगों, रक्षा, अनुसंधान प्रयोगशालाओं और हाई-पावर माइक्रोवेव आधारित अनुप्रयोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। तकनीक के ट्रांसफर के बाद इसका व्यावसायिक उत्पादन शुरू होने का मार्ग प्रशस्त होगा।

सीएसआईआर–सीरी पिछले छह दशकों से वैक्यूम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, सेमीकंडक्टर और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों के क्षेत्र में राष्ट्रीय नेतृत्वकारी अनुसंधान केंद्र रहा है। संस्थान की वैज्ञानिक टीम ने हाई-पावर मैग्नेट्रॉन के स्वदेशी विकास को नई ऊंचाई दी है, जिससे भारत की वैज्ञानिक क्षमता वैश्विक स्तर पर और मजबूत होगी।

इस साझेदारी से भारत हाई-पावर मैग्नेट्रॉन, माइक्रोवेव टेक्नोलॉजी, स्ट्रैटेजिक इलेक्ट्रॉनिक्स, वैश्विक इलेक्ट्रॉन डिवाइस, डिफेंस टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री-रिसर्च पार्टनरशिप जैसे क्षेत्रों में नई छलांग लगाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक यह करार भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर निर्णायक रूप से आगे बढ़ाएगा।

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