जयपुर, राजस्थान: भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव और सीजफायर उल्लंघनों के बीच राजस्थान सरकार द्वारा लंबे समय से एपीओ (प्रतीक्षारत नियुक्ति आदेश) पर चल रहे अधिकारियों को अचानक बॉर्डर जिलों में भेजे जाने पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने इस कदम को ‘राजनीतिक पूर्वाग्रह’ करार देते हुए आरोप लगाया है कि जिन अधिकारियों की तैनाती की गई है, वे कांग्रेस समर्थक विचारधारा के माने जाते हैं।

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस फैसले को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “सरकार ने एक खास सोच और रणनीति के तहत कांग्रेस विचारधारा वाले अधिकारियों को बॉर्डर पर भेजा है। कांग्रेस के लोग देश की सेवा से नहीं डरते, लेकिन नियुक्तियों में भेदभाव करना दुर्भाग्यपूर्ण है।”
सर्वदलीय बैठक में नहीं बुलाए जाने पर जताई आपत्ति
डोटासरा ने जयपुर में शनिवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष को आमंत्रित नहीं किए जाने पर भी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, “यह कैसी सर्वदलीय बैठक है जिसमें न कांग्रेस को बुलाया गया, न ही सत्ता पक्ष के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को। इससे स्पष्ट है कि सरकार में बैठे ब्यूरोक्रेट्स हावी हैं, जो नहीं चाहते कि किसी भी स्तर पर विपक्ष की भागीदारी हो।”

सीजफायर और विदेश नीति पर उठाए सवाल
भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया सीजफायर की चर्चा करते हुए डोटासरा ने पूछा, “देश जानना चाहता है कि अमेरिका को इस मुद्दे पर मध्यस्थता क्यों करनी पड़ी? ट्रंप ने कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की बात कही है, जो हर भारतीय के लिए चिंता का विषय है।”
उन्होंने कहा कि सरकार की विफल विदेश नीति के कारण भारत की स्थिति वैश्विक स्तर पर कमजोर हुई है। “आज सभी पड़ोसी देश भारत के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। चीन तो खुलकर पाकिस्तान के साथ खड़ा है, वहीं बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका जैसे देश भी भारत से दूरी बना रहे हैं। यह गंभीर कूटनीतिक विफलता है।”