इस्लामाबाद, पाकिस्तान: भारत-पाकिस्तान सीमा पर शांति एक बार फिर संकट में दिख रही है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने गुरुवार को संसद में एक अहम खुलासा करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच मौजूदा सीजफायर केवल 18 मई 2025 तक के लिए लागू रहेगा। जिओ टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला 14 मई को भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियानों के महानिदेशकों (DGMO) के बीच हॉटलाइन पर हुई बातचीत के दौरान लिया गया।
डार के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों से लेकर रणनीतिक हलकों तक हलचल तेज हो गई है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या 18 मई के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर सैन्य संघर्ष की आशंका बन रही है?

सीजफायर की चरणबद्ध अवधि: एक अस्थायी समझौता
बता दें कि पिछले कुछ दिनों में तीन बार DGMO स्तर पर बातचीत हो चुकी है।
- 10 मई को हुई पहली बातचीत में 12 मई तक के लिए सीजफायर पर सहमति बनी थी।
- इसके बाद 12 मई की बातचीत में इसे 14 मई तक बढ़ाया गया।
- अंततः 14 मई को हुई तीसरी बातचीत में 18 मई तक की सीजफायर सहमति बनी।
इस प्रकार, यह स्पष्ट हो रहा है कि दोनों देशों के बीच स्थायी शांति नहीं, बल्कि चरणबद्ध और सीमित अवधि की अस्थायी सहमतियां हो रही हैं।
पाकिस्तान के मंत्रियों की बयानबाज़ी और चेतावनियां
इशाक डार के इस बयान के साथ-साथ पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार के अन्य मंत्री भी लगातार भारत को चेतावनी देते दिखाई दे रहे हैं। पाकिस्तान की ओर से यह संकेत दिए जा रहे हैं कि यदि भारत ने सिंधु जल समझौते को फिर से बहाल नहीं किया, तो वे सीजफायर को रद्द कर सकते हैं।
इस तरह की गीदड़ भभकियों से यह अंदेशा और गहरा हो गया है कि सीमा पर फिर से गोलीबारी और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
भारत का कड़ा रुख: सिंधु जल समझौता फिलहाल स्थगित
भारत सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह सिंधु जल समझौते को तब तक बहाल नहीं करेगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह और विश्वसनीय रूप से बंद नहीं करता।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में कहा:

“सिंधु जल संधि स्थगित है और तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से नहीं रोका जाता।”
यह बयान पहलगाम हमले के बाद आया था, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन की संलिप्तता पाई गई थी।
रणनीतिक विश्लेषण: क्या 18 मई के बाद फिर से संघर्ष?
विशेषज्ञों का मानना है कि सीजफायर की सीमित समयावधि और पाकिस्तान के नेताओं के आक्रामक बयानों से दोनों देशों के बीच तनाव फिर से बढ़ सकता है। भारत की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।