नई दिल्ली: भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय औपचारिक रूप से लागू कर दिया है। इस निर्णय की सूचना जल शक्ति मंत्रालय द्वारा पाकिस्तान को एक आधिकारिक पत्र के माध्यम से दी गई। यह कदम पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद लिया गया, जिसे भारत ने “सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद” बताया है।
1960 की संधि का ऐतिहासिक संदर्भ
भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। इसका उद्देश्य सीमा पार बहने वाली नदियों के जल बंटवारे को शांतिपूर्ण और तकनीकी तरीके से संचालित करना था। यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता से नौ वर्षों की बातचीत के बाद लागू हुई थी और इसे एक ऐतिहासिक जल समझौता माना गया था।
CCS बैठक में लिया गया बड़ा निर्णय
बुधवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की सुरक्षा समिति (CCS) की आपात बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई नहीं करता, भारत सिंधु जल संधि को निलंबित रखेगा। यह कदम भारत की ओर से स्पष्ट संकेत है कि अब आतंकवाद और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते।
पाकिस्तान के खिलाफ अन्य जवाबी कार्रवाइयाँ
भारत ने बुधवार को पाकिस्तान के विरुद्ध कई सख्त कदम उठाए, जिनमें शामिल हैं:
- पाकिस्तानी सैन्य अताशे को निष्कासित करना
- अटारी भूमि-पारगमन चौकी को तत्काल प्रभाव से बंद करना
- भारत में मौजूद सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 1 मई तक देश छोड़ने का आदेश देना
ये फैसले पाकिस्तान को एक स्पष्ट राजनीतिक और कूटनीतिक संदेश देने के उद्देश्य से लिए गए हैं।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
भारत की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने को अस्वीकार कर दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि,
“अगर भारत ने पाकिस्तान के हिस्से के जल प्रवाह को रोका, तो इसे युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।”
पाकिस्तान ने यह भी कहा कि वह इस विषय को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएगा, और संयुक्त राष्ट्र तथा विश्व बैंक को इसमें हस्तक्षेप करने को कहेगा।