नई दिल्ली, 25 अप्रैल 2024: भारत ने गुरुवार को अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी मानवाधिकार रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, जिसमें पिछले साल मणिपुर में हुई हिंसा के दौरान “महत्वपूर्ण मानवाधिकारों के हनन” का उल्लेख किया गया था।
विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को “गहरा पक्षपातपूर्ण” और “भारत की खराब समझ” को दर्शाने वाला बताया।
विदेश मंत्रालय का बयान
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “यह रिपोर्ट गहराई से पक्षपातपूर्ण है और भारत की खराब समझ को दर्शाती है। हम इसे कोई महत्व नहीं देते हैं और आपसे भी ऐसा करने का आग्रह करते हैं।”
अमेरिकी रिपोर्ट के आरोप
अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट “मानवाधिकार प्रथाओं पर 2023 देश रिपोर्ट: भारत” में आरोप लगाया गया है कि मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के परिणामस्वरूप “महत्वपूर्ण मानवाधिकारों का हनन” हुआ। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हिंसा में कम से कम 175 लोग मारे गए और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए।
विदेश मंत्रालय का जवाब
विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। जयसवाल ने कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने और अपने नागरिकों की मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार ने मणिपुर में हुई हिंसा की जांच के लिए कदम उठाए हैं और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।
अमेरिकी विश्वविद्यालयों में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया
जयसवाल ने कोलंबिया विश्वविद्यालय और संयुक्त राज्य अमेरिका के अन्य विश्वविद्यालयों में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत ने इस घटना पर ध्यान दिया है और “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जिम्मेदारी की भावना और सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था के बीच सही संतुलन” बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि “लोकतंत्रों को अन्य साथी लोकतंत्रों के संबंध में इस समझ को प्रदर्शित करना चाहिए।”
निष्कर्ष
भारत और अमेरिका के बीच मानवाधिकारों को लेकर मतभेद जारी रहने की संभावना है। भारत ने अमेरिकी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है और अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर जोर दिया है।