नई दिल्ली: भारत और कनाडा के बीच लंबे समय से तनावपूर्ण चल रहे द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की दिशा में रविवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और कनाडा की नई विदेश मंत्री अनिता आनंद ने पहली बार फोन पर बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को प्रगाढ़ बनाने, साझा प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने और रिश्तों को मजबूती देने पर विस्तार से चर्चा की।
कनाडा में नई सरकार के साथ भारत के संबंधों को लेकर नई उम्मीदें
इस महीने प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के नेतृत्व में बनी कनाडाई सरकार में अनिता आनंद ने विदेश मंत्री का कार्यभार संभाला है। कार्नी की लिबरल पार्टी ने हाल ही में हुए संसदीय चुनावों में जीत हासिल की है, जिसे भारत-कनाडा संबंधों के पुनर्निर्माण के लिए एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बातचीत के बाद सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “भारत-कनाडा संबंधों की संभावनाओं पर सार्थक चर्चा हुई। मैं नए कार्यकाल के लिए अनिता आनंद को शुभकामनाएं देता हूं।” वहीं, अनिता आनंद ने भी एक्स पर कहा कि जयशंकर के साथ हुई बातचीत उपयोगी और महत्वपूर्ण रही, और उन्होंने आर्थिक सहयोग को बढ़ाने और साझा हितों को मजबूत करने पर जोर दिया।
पिछला तनाव और विवाद: एक लंबा इतिहास
भारत-कनाडा संबंधों में आई ठंडक का प्रमुख कारण सितंबर 2023 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा लगाए गए आरोप थे, जिसमें उन्होंने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के एजेंटों की संलिप्तता जताई थी। भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए ‘बेतुका’ बताया। इसके बाद कनाडा ने भारत के कई राजनयिकों को हत्या से जोड़ते हुए विवाद और गहरा दिया।
इस विवाद के चलते अक्टूबर 2023 में भारत ने तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा सहित छह राजनयिकों को वापस बुलाया, जबकि कनाडा के बराबर संख्या में राजनयिकों को भी भारत से निष्कासित कर दिया गया। इस राजनयिक संकट ने दोनों देशों के बीच संबंधों को सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया।

नई बातचीत और रिश्तों को सुधारने का प्रयास
हाल के महीनों में दोनों देशों के सुरक्षा और राजनयिक अधिकारी फिर से संपर्क करने लगे हैं। भारत और कनाडा दोनों उच्चायुक्तों की नियुक्ति पर विचार कर रहे हैं, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में नयापन आए।
ट्रूडो सरकार पर भारत ने कनाडा में खालिस्तानी समर्थक तत्वों को सक्रिय रहने की अनुमति देने का आरोप लगाया था, जो दोनों देशों के बीच गहरे भरोसे को प्रभावित करता रहा। अब ट्रूडो के इस्तीफे के बाद नई सरकार के साथ भारत ने बेहतर संवाद और पारस्परिक विश्वास स्थापित करने की उम्मीद जताई है।