राजस्थान में भजन सरकार द्वारा गहलोत सरकार की योजनाओं के नाम बदलना तय माना जा रहा है। वजह यह है कि 2018 में अशोक गहलोत ने सत्ता में आते ही बीजेपी की योजनाओं के नाम बदल दिए थे। दीन दयाल उपाध्याय या फिर गुरु गोलवलकर के नाम से जुड़ी योजनाएं शामिल है। तब विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा था कि सत्ता में आते ही हम नाम बदल देंगे। हालांकि, कटारिया अब असम के राज्यपाल है। लेकिन राजस्थान में बीजेपी की सरकार सत्ता में आ गई है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल के गठन के तुरंत बाद ही योजनाओं का नाम बदलने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। गहलोत सरकार में एक दर्जन से अधिक योजनाओं के नाम बदले गए थे। ऐसे में सियासी जानकारों का कहना है कि नाम बदलने की सियासत पर एक बार फिर बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो सकती है।
गहलोत सरकार ने बदले इन योजनाओं के नाम
उल्लेखनीय है कि गहलोत सरकार ने सत्ता में आते ही सभी सरकारी दस्तावेजों से पंडित दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर हटवा दी थी। दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना का नाम मुख्यमंत्री वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना कर दिया गया। गुरु गोलवलकर ग्रामीण जनभागीदारी योजना का नाम अब महात्मा गांधी ग्रामीण जनभागीदारी योजना कर दिया गया। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना का नाम भी अब बदलकर राजीव गांधी जल स्वावलंबन योजना कर दिया गया है। ग्रामीण गौरव पथ की जगह सरकार ने विकास पथ के नाम से योजना बनाई। जबकि भामाशाह की जगह राजस्थान जन आधार योजना बना दिया। किसान राहत आयोग का नाम बदल कर कृषक कल्याण कोष कर दिया गया है।