उदयपुर, राजस्थान: राजस्थान के मेवाड़ से एक दुखद समाचार सामने आया है। पूर्व राजपरिवार के वरिष्ठ सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ का रविवार सुबह निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और सिटी पैलेस स्थित शंभू निवास में उनका इलाज चल रहा था। 80 वर्षीय अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन की खबर से पूरे मेवाड़ अंचल में शोक की लहर दौड़ गई।
सोमवार को होगा अंतिम संस्कार
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, अरविंद सिंह मेवाड़ का अंतिम संस्कार सोमवार को किया जाएगा। उनके पुत्र लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर दुख जताते हुए लिखा, “अत्यंत दुःख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि मेरे पिता अरविंद सिंह मेवाड़ का रविवार को निधन हो गया।”

उन्होंने आगे बताया कि सोमवार सुबह 7 बजे से अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर रखा जाएगा, जिसके बाद सुबह 11 बजे अंतिम यात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा शंभू निवास से बड़ी पोल, जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार, देहली गेट होते हुए महासतियां पहुंचेगी, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मेवाड़ राजपरिवार के 76वें संरक्षक थे अरविंद सिंह मेवाड़
13 दिसंबर 1944 को उदयपुर के सिटी पैलेस में जन्मे अरविंद सिंह मेवाड़ मेवाड़ राजवंश के 76वें संरक्षक थे। वे महाराणा भगवत सिंह के द्वितीय पुत्र और स्वर्गीय महाराणा महेंद्र सिंह मेवाड़ के छोटे भाई थे। कुछ समय पहले ही उनके बड़े भाई महेंद्र सिंह मेवाड़ का भी स्वर्गवास हुआ था, जिसके बाद यह परिवार पर एक और गहरा आघात है।
— LakshyarajSinghMewar (@lakshyarajmewar) March 16, 2025
शिक्षा और होटल व्यवसाय में योगदान
अरविंद सिंह मेवाड़ की प्रारंभिक शिक्षा उनके घर पर ही हुई। वर्ष 1957 में उन्हें अजमेर के प्रतिष्ठित मेयो कॉलेज भेजा गया, जहां से उन्होंने स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद 1965 में उदयपुर के महाराणा भूपाल कॉलेज से कला संकाय में स्नातक किया।
आगे की शिक्षा के लिए वे विदेश गए और यूके के सेंट एल्बंस मेट्रोपॉलिटन कॉलेज से होटल मैनेजमेंट की डिग्री प्राप्त की। अपने व्यावसायिक ज्ञान का उपयोग करते हुए उन्होंने उदयपुर में पर्यटन और होटल व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

सिटी पैलेस के शंभू निवास में बीता जीवन
अरविंद सिंह मेवाड़ सिटी पैलेस के शंभू निवास में रहते थे। वे यहीं पर अपने पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे और उदयपुर के ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण में भी योगदान देते रहे। लंबे समय से अस्वस्थ होने के कारण उनका इलाज शंभू निवास में ही चल रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।