Wednesday, April 16, 2025
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पुरी के जगन्नाथ मंदिर में बाज द्वारा ध्वज ले जाने की घटना बनी चर्चा का विषय, भक्तों ने माना इसे दिव्य संकेत

ध्वज और गरुड़ देवता की उपस्थिति को बताया गया धार्मिक परिवर्तन का प्रतीक

पुरी, ओडिशा: भगवान जगन्नाथ के परमधाम माने जाने वाले पुरी के जगन्नाथ मंदिर में हाल ही में घटी एक असामान्य और अद्भुत घटना ने भक्तों समेत पूरे धार्मिक समुदाय को चमत्कृत कर दिया है। इस घटना को कई लोगों ने एक दिव्य संकेत (Divine Sign) और आध्यात्मिक परिवर्तन की शुरुआत के रूप में देखा है।

घटना के अनुसार, मंदिर के शिखर पर लहराते पतितपावन बाना (ध्वज) को एक बड़े बाज ने अपने पंजों में पकड़ लिया और उसे उड़ाकर ले गया। यह दृश्य न केवल आश्चर्यजनक था, बल्कि भक्तों की आस्था को गहराई से स्पर्श करता हुआ प्रतीत हुआ।

ध्वज का आध्यात्मिक महत्व: भगवान की उपस्थिति का प्रतीक

पुरी के जगन्नाथ मंदिर में प्रतिदिन मंदिर के शिखर पर विशेष ध्वज फहराया जाता है, जिसे पतितपावन बाना कहा जाता है। यह ध्वज भगवान जगन्नाथ की दिव्य उपस्थिति और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।

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धार्मिक मान्यता है कि जब ध्वज असामान्य रूप से हिलता है या उसकी दिशा बदलती है, तो यह भगवान के संकेत और भविष्य में आने वाले धार्मिक परिवर्तनों का द्योतक होता है। इसलिए जब बाज ने ध्वज को शिखर से उठाकर उड़ान भरी, तो यह दृश्य एक साधारण घटना नहीं रह गया।

गरुड़ देवता: विष्णु के वाहन और धर्मरक्षक का प्रतीक

गरुड़ देवता, जिन्हें भगवान विष्णु का वाहन और पक्षीराज माना जाता है, हिंदू धर्म में उच्चतम सम्मान प्राप्त करते हैं। गरुड़ को धर्म की रक्षा, सत्य की स्थापना और भक्तों के संकट हरण के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।

सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर यह चर्चा भी हो रही है कि शायद यह कोई सामान्य बाज नहीं, बल्कि गरुड़ देवता का रूप हो सकता है, जो स्वयं भगवान जगन्नाथ का संदेश लेकर आए हों।

धार्मिक ग्रंथों जैसे विष्णु पुराण, भागवत पुराण, और महाभारत में गरुड़ द्वारा दिव्य कार्यों के अनेक उल्लेख मिलते हैं, जो इस घटना को और भी आध्यात्मिक गहराई प्रदान करते हैं।

ध्वज और पक्षी: धार्मिक संकेत और भविष्यवाणी का माध्यम

स्कंद पुराण और बृहत्संहिता जैसे शास्त्रों में पक्षियों के व्यवहार और उनके द्वारा दिए जाने वाले संकेतों का विस्तृत वर्णन मिलता है। यह माना गया है कि पक्षियों का किसी पवित्र स्थान पर विशेष व्यवहार करना, ईश्वर की इच्छा का प्रतीक होता है।

इस संदर्भ में, जगन्नाथ मंदिर जैसे पवित्र स्थल पर बाज द्वारा ध्वज को ले जाना एक असाधारण संकेत माना जा रहा है। कुछ धार्मिक विद्वानों का मत है कि यह घटना आगामी सकारात्मक परिवर्तन, धार्मिक जागृति, और भगवान का विशेष आशीर्वाद है।

भक्तों की प्रतिक्रिया: आश्चर्य, श्रद्धा और आस्था से ओतप्रोत

घटना के बाद मंदिर परिसर और सोशल मीडिया दोनों पर श्रद्धालुओं का उत्साह और आश्चर्य स्पष्ट रूप से देखने को मिला। कई भक्तों ने इसे भगवान की लीला और दुनिया में पुनः धर्म की स्थापना की ओर इशारा बताया।

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पुरी निवासी रघुनाथ महापात्रा ने कहा –

“मैंने अपने जीवन में ऐसी घटना पहले कभी नहीं देखी। यह निश्चित रूप से भगवान का कोई संकेत है। शायद कोई बड़ा धार्मिक परिवर्तन आने वाला है।”

वहीं मंदिर प्रशासन ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए श्रद्धालुओं की भावनाओं को समझते हुए मंदिर की सुरक्षा और ध्वज पूजन की व्यवस्था की समीक्षा शुरू कर दी है।

धार्मिक विशेषज्ञों की राय

धर्मशास्त्र के विद्वानों का मानना है कि बाज द्वारा ध्वज को ले जाना केवल प्राकृतिक घटना नहीं हो सकती। काशी के विद्वान आचार्य शंकर शास्त्री का कहना है –

“गरुड़ देवता जब भी किसी स्थल पर प्रकट होते हैं या उनके समान कोई कार्य होता है, तो उसे अवश्य ही ईश्वरीय प्रेरणा माना जाना चाहिए। यह घटना निश्चित रूप से भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति और उनके कार्यों की गूंज है।”

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