झुंझुनू: पितृ पक्ष का प्रारंभ आज यानि 17 सितंबर मंगलवार से हो रहा है या फिर कल 18 सितंबर बुधवार से? यह सवाल काफी लोगों के मन में है, क्योंकि सबसे बड़ी उलझन तिथि के कारण हो रही है। कुछ लोगों का मानना है कि 17 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं क्योंकि भाद्रपद माह की पूर्णिमा की श्राद्ध तिथि आज ही है। लेकिन कुछ अन्य लोगों का यह कहना है कि पितृ पक्ष का आरम्भ आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है, इसलिए इसकी शुरूआत कल यानी 18 सितंबर से होगी।
इस संशय को दूर करने के लिए हमने चिड़ावा पुरानी बस्ती स्थित देवी जी मन्दिर के महंत पंडित महेन्द्र चौमाल से बात की। पंडित महेन्द्र चौमाल ने बताया कि 17 नहीं, 18 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू होंगे। पंडित चौमाल ने बताया कि पितृ पक्ष का प्रारंभ भाद्रपद पूर्णिमा से नहीं होता है। इस वर्ष आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर को सुबह 8:41 बजे के बाद से शुरू हो रही है, तो पितृ पक्ष भी कल से ही शुरू होंगे। पितृ पक्ष में किए जाने वाले तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि कर्म भी बुधवार से ही होंगे।
पंडित महेन्द्र चौमाल ने बताया कि हिन्दू धर्म में निर्णय सिंधु एक प्रमाणिक पुस्तक है, जिसमें इस तरह के सैकड़ों प्रश्नों का जवाब दिया गया है। उसके अनुसार पितरों के लिए निर्धारित पितृ पक्ष आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि से ही आरम्भ होता है। भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष शुरू ही नहीं होता है, तो इसके 17 सितंबर से प्रारंभ होने की बात ही गलत है। आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर को शुरु हो रही है, इसलिए पितृ पक्ष भी उस दिन से ही शुरू होगा। जो लोग आज से पितृ पक्ष का प्रारंभ बता रहे हैं, वह शास्त्र सम्मत नहीं माना जा सकता है।
आश्विन अमावस्या पर होगा पूर्णिमा का श्राद्ध
पंडित महेन्द्र चौमाल ने बताया कि जिन लोगों के पितरों का निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ है, वे लोग अपने पितरों के लिए श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि आश्विन अमावस्या को करेंगे। इसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना गया है और इस दिन ज्ञात और अज्ञात सभी तरह के पितरों का श्राद्ध होता है।
पितृ पक्ष 2024 की तिथियां
पितृ पक्ष 18 सितंबर बुधवार से प्रारंभ हो रहे हैं तथा इसका समापन 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन होगा। अमावस्या के दिन पितृ विसर्जन होगा।
प्रतिपदा का श्राद्ध: 18 सितंबर
द्वितीया का श्राद्ध: 19 सितंबर
तृतीया का श्राद्ध: 20 सितंबर
चतुर्थी का श्राद्ध: 21 सितंबर
पंचमी का श्राद्ध: 22 सितंबर
षष्ठी का श्राद्ध: 23 सितंबर
सप्तमी का श्राद्ध: 24 सितंबर
अष्टमी का श्राद्ध: 25 सितंबर
नवमी का श्राद्ध: 26 सितंबर
दशमी का श्राद्ध: 27 सितंबर
एकादशी का श्राद्ध: 28 सितंबर
द्वादशी का श्राद्ध: 29 सितंबर
त्रयोदशी का श्राद्ध: 30 सितंबर
चतुर्दशी का श्राद्ध: 1 अक्टूबर
अमावस्या/पूर्णिमा का श्राद्ध: 2 अक्टूबर
कब करना चाहिए श्राद्ध?
पंडित महेन्द्र चौमाल ने बताया कि “मध्याह्ने श्राद्धम् समाचरेत” इसके अनुसार श्राद्ध का कार्य व्यक्ति को दोपहर के समय में ही करना चाहिए। पितरों के लिए पिंडदान, श्राद्ध आदि 11:30 बजे से दोपहर 03:30 बजे तक कर लिया जाता है।