चिड़ावा, 15 मई 2025: सिंघाना मार्ग स्थित लालचौक बस स्टैंड पर नहर आंदोलन के अंतर्गत किसानों का धरना लगातार 500वें दिन भी जारी रहा। यह आंदोलन किसान सभा के बैनर तले आयोजित हो रहा है, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्रिंसिपल दरियासिंह धायल द्वारा की गई। क्रमिक अनशन पर बैठे किसान सभा के तहसील अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह चाहर डेढ़ वर्ष से आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।

धरने को संबोधित करते हुए सुरेश धायल, जयलाल खरड़िया, मोहरसिंह कठानियां और नरहड़ से पहुंचे किसानों ने बताया कि शेखावाटी क्षेत्र, जो कभी शूरवीरों की भूमि के रूप में पहचाना जाता था, आज पानी की भारी किल्लत के कारण उजड़ने की कगार पर है। उन्होंने कहा कि यहां के लोग पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर हैं, लेकिन अब भूगर्भीय जल स्तर इतना गिर चुका है कि टैंकरों का भी कोई भरोसा नहीं रह गया है।
धरने के दौरान “नहर नहीं तो वोट नहीं” स्टीकर का विमोचन किया गया। वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार नहर की परियोजना को धरातल पर नहीं लाती, तब तक आगामी चुनावों का बहिष्कार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब जीवन ही खतरे में हो तो वोट देना अर्थहीन हो जाता है।
नरहड़ गांव से बड़ी संख्या में किसान धरना स्थल पर पहुंचे और जमकर नारेबाजी की। उन्होंने आंदोलन को अपना पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की और घर-घर जाकर स्टीकर वितरित करने की योजना साझा की, ताकि पूरे शेखावाटी क्षेत्र को इस आंदोलन से जोड़ा जा सके।
किसानों ने यह भी बताया कि 16 मई को देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के पैतृक गांव किठाना में धरना देने की योजना थी, लेकिन वर्तमान में देश में पाकिस्तान के साथ बन रही संवेदनशील स्थिति को देखते हुए सुरक्षा कारणों से इस कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है। प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने किसानों की संयमित व शांतिपूर्ण रणनीति की सराहना की और सरकार से इस पर गंभीरता से विचार करने की अपील की है।

धरने में आंदोलन के प्रवक्ता विजेन्द्र शास्त्री, तहसील सचिव ताराचंद तानाण, जिला उपाध्यक्ष बजरंग लाल, यात्रा संयोजक रणधीर ओला, महिला प्रकोष्ठ जिलाध्यक्षा सुनीता साईं पंवार सहित प्रभुराम सैनी, राजवीर चाहर, किसनलाल शर्मा, कपिल कुमार, बाबूलाल तानाण, अनिल कुमार, सुनिल कुमार, संदीप कुमार, शाहजाद, फारुख, जतिन कुमार, विरेंद्र कुमार, ऋषिपाल शैदपुर, जाहिद खान, सौरभ, राजेश चाहर, जयसिंह, मनोज, महेंद्र, लीलाधर स्वामी सहित कई किसान उपस्थित रहे।
किसानों ने अंत में दोहराया कि वे देशभक्त हैं और आपातकालीन स्थिति में सरकार व सेना के साथ खड़े रहेंगे, लेकिन पानी के अधिकार के लिए लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज उठाना जारी रखेंगे।