सूरजगढ़: मंगलवार सुबह सीकर-लोहारू स्टेट हाईवे करीब तीन घंटे तक जाम रहा। लेह में सेना के आयुध डिपो में कार्यरत स्यालू कलां के जवान नंदूसिंह की मौत के बाद परिजन और ग्रामीण उन्हें शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग पर अड़ गए। सुबह जब शव सूरजगढ़ पहुंचा तो बड़ी संख्या में वहां मौजूद ग्रामीण घरडू चौराहे पर धरने पर बैठ गए। सड़क पर आड़े-तिरछे वाहन खड़े कर लगाए गए जाम की वजह से यहां से होकर गुजरने वाले लोगों को आवागमन में काफी असुविधा का सामना करना पड़ा।
झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ ब्लॉक के गांव स्यालू कलां के रहने वाले आर्मी जवान के परिजनों व ग्रामीणों ने आज सुबह नौ बजे से पहले हाईवे जाम कर दिया था। उनकी मांग जवान नंदूसिंह को शहीद का दर्जा देने की थी। प्रशासन और परिवार के बीच सहमति बनने के बाद दोपहर करीब 12 बजे यहां से जाम को हटाया गया।
दरअसल, सूरजगढ़ के स्यालू कलां के रहने वाले नंदूसिंह शेखावत लेह-लद्दाख में सेना के बारूद डिपो में पोस्टेड थे। वे 8 मई को डिपो में बम फटने के दौरान घायल हो गए थे। बाद में सोमवार को चंडीगढ़ में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया था। आज सुबह प्राइवेट एंबुलेंस में उनकी पार्थिव देह पहुंची तो ग्रामीण नाराज हो गए। उनकी मांग थी कि नंदूसिंह को शहीद का दर्जा दिया जाए और सैन्य सम्मान के साथ उनकी तिरंगा यात्रा निकाली जाए। जाम लगा रहे लोगों का कहना था कि जवान को शहीद का दर्जा देने का लिखित आदेश उन्हें दिया जाए। जब तक उन्हें आदेश नहीं दिखाया जाएगा वे पार्थिव देह को नहीं लेंगे।
धरने पर बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद रहीं। इस दौरान लगातार नारेबाजी भी की जाती रही। जाम की सूचना पर सूरजगढ़ थाना अधिकारी सुखदेव सिंह भी पुलिस जाब्ते के साथ मौके पहुंचे। बाद में धरने और हाईवे जाम की सूचना पर सूरजगढ़ एसडीएम दयानन्द रूयल, चिड़ावा डीएसपी विकास धींधवाल व तहसीलदार चंद्रशेखर समझाइश के लिए मौके पर पहुंचे। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए मौके पर चिड़ावा और पिलानी थानों का जाब्ता भी तैनात किया गया।
सूरजगढ़ विधायक श्रवण कुमार ने भी मौके पर पहुंच कर लोगों को समझाने का प्रयास किया। भाजपा नेता राजेश दहिया और युवा मोर्चा नेता विकास भालोठिया ने भी प्रदर्शन कर रहे लोगों से बात की।
इस दौरान जवान नंदूसिंह की पार्थिव देह चंड़ीगढ़ से जिस एंबुलेंस में लाई गई, ग्रामीणों के विरोध व शहीद का दर्जा देने की मांग के चलते वह गांव के बाहर ही खड़ी रही।
जिला सैनिक कल्याण अधिकारी से वार्ता के बाद बनी सहमति
- एसडीएम दयानंद ने धरने पर बैठे ग्रामीणों और आयुध डिपो से शव के साथ आए सैन्यकर्मी और जिला सैनिक कल्याण अधिकारी से बात की। उन्होंने बताया कि नंदूसिंह राजपूत को नियमानुसार विभिन्न मद से कुल लगभग 90 लाख रूपए का फंड दिया जाएगा, इसके अलावा परिजनों को पेंशन भी मिलेगी।
- लेह में दर्ज एफआईआर के बारे में जिला सैनिक कल्याण अधिकारी ने सेना के अधिकारियों से हुई वार्ता के बाद बताया कि वह एक सामान्य प्रक्रिया है। एफआईआर नंदूसिंह के विरुद्ध नहीं है।
जन प्रतिनिधियों की मध्यस्थता से प्रशासन के साथ हुई वार्ता के बाद ग्रामीणों ने धरना वापस ले लिया जिसके बाद अन्तिम संस्कार के लिए तिरंगा यात्रा स्यालू कलां के लिए रवाना हो गई।
सरकार शहीदों के साथ अत्याचार कर रही है- विधायक
सूरजगढ़ विधायक श्रवण कुमार हाईव जाम कर रहे ग्रामीणों के बीच पहुंचे। उन्होंने कहा कि हमारे लाडले नंदूसिंह के शव को जिस तरह से सरकार ने 2 सिपाहीयों के साथ प्राइवेट गाड़ी से भेजा है, यह शर्मसार करने वाली बात है। विधायक बोले कि जो जवान शहीद हो रहे हैं उनको सिर्फ प्राइवेट गाड़ी में लेकर आना, केवल मात्र यह कह देना खुद की ही गलती है, यह गलत है।
नियमानुसार नहीं दिया जा सकता शहीद का दर्जा
- जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल सुरेश कुमार जांगिड़ ने बताया कि नंदू सिंह आर्मी के एम्यूनिशन डिपो में ट्रेड्समैन थे।
- ये पोस्ट डिफेंस सिविलियन कैटेगिरी में आती है। इस तरह के हादसों में इन्हें शहीद का दर्जा देने का प्रावधान नहीं है। इसके अलावा सर्विस से जुड़े अन्य सभी परिलाभ नंदू सिंह के परिजनों को मिलेंगे।
प्रशासन से हुई वार्ता के बाद ग्रामीणों ने धरना वापस ले लिया जिसके बाद अन्तिम संस्कार के लिए तिरंगा यात्रा स्यालू कलां के लिए रवाना हो गई। । बाद में गांव में उनके अंतिम संस्कार में भाईयों ने उन्हें मुखाग्नि दी। इससे पहले नंदू सिंह के घर पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। पार्थिव देह के पहुंचने पर पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया। नंदू सिंह के परिवार में माता पिता के अलावा दो भाई और दो बहनें हैं। सेना में नौकरी लगने से पहले नंदू सिंह गवर्नमेंट कॉलेज सूरजगढ़ के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे थे।