झुंझुनूं, 22 अप्रैल 2025: झुंझुनू जिले के डूमरा गांव की गढ़वालों की ढाणी निवासी रजनीश गढ़वाल ने जन्मजात दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि प्रेरणा बनाकर चिकित्सा क्षेत्र में सफलता हासिल की है। कड़ी मेहनत और माता-पिता के समर्थन के बल पर रजनीश ने विपरीत परिस्थितियों को पछाड़ते हुए न केवल 2018 में पीएमटी परीक्षा उत्तीर्ण की, बल्कि 2023 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर डॉक्टर बनने का सपना भी साकार कर दिखाया।

रजनीश की इस उपलब्धि पर जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया। झुंझुनू के जिला कलेक्टर रामावतार मीणा और पुलिस उपमहानिरीक्षक शरद चौधरी ने रजनीश को उनके माता-पिता की उपस्थिति में प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया।
सम्मान की अनुशंसा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने की
रजनीश को यह सम्मान दिलाने की पहल झुंझुनू पुलिस में कार्यरत त्वरित अनुसंधान निस्तारण दल के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक फूलचंद मीणा द्वारा की गई। उन्होंने झुंझुनू पुलिस विभाग में चालक कांस्टेबल के पद पर कार्यरत विजेन्द्र कुमार के पुत्र रजनीश की उपलब्धि को विभागीय स्तर पर पहचान दिलाने की सिफारिश की थी।
सपनों के पीछे संघर्ष और परिवार का योगदान
डॉक्टर रजनीश का जीवन संघर्षों की मिसाल रहा है। दिव्यांगता के चलते उन्हें बचपन से ही अनेक शारीरिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके माता-पिता ने कभी हार नहीं मानी। पिता विजेन्द्र कुमार और माता ने हर मोड़ पर उनका साथ दिया, शिक्षा में रुचि बनाए रखी और हर कठिनाई में उनके लिए प्रेरणा स्त्रोत बने। माता-पिता के इस समर्पण और रजनीश की दृढ़ इच्छाशक्ति ने मिलकर एक असाधारण सफर को अंजाम तक पहुँचाया।

समाज को दिया गया सकारात्मक संदेश
सम्मान समारोह के दौरान जिला कलेक्टर रामावतार मीणा ने कहा कि रजनीश की यह उपलब्धि पूरे जिले के लिए गर्व का विषय है। वहीं पुलिस उपमहानिरीक्षक शरद चौधरी ने कहा कि ऐसे उदाहरण समाज में सकारात्मक सोच को बढ़ावा देते हैं और अन्य दिव्यांग बच्चों एवं उनके अभिभावकों को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
रजनीश का यह संघर्ष और सफलता यह संदेश देता है कि अगर परिवार का साथ हो और इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।