चुनावी प्रचार थमा, आयोग की सख्ती शुरू
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान समाप्त हो चुका है, लेकिन अब चुनाव आयोग ने सुरक्षा और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सख्त पहरा बिठा दिया है। अगले 36 घंटे को बेहद संवेदनशील मानते हुए सभी एजेंसियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। खासतौर पर राजनीतिक दलों के नेताओं, स्टार प्रचारकों और प्रत्याशियों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
प्रचार व सार्वजनिक बयानबाजी पर रोक
चुनाव आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि राजनीतिक दलों से जुड़े किसी भी नेता, स्टार प्रचारक या प्रत्याशी को अब कोई भी प्रचार, मीडिया इंटरव्यू या प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की अनुमति नहीं होगी। साथ ही मतदाताओं को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
ई-विजिल एप से करें शिकायत, होगी त्वरित कार्रवाई
आयोग ने जनता से अपील की है कि यदि उन्हें चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन या किसी भी तरह की गड़बड़ी की जानकारी मिलती है, तो वे तुरंत ई-विजिल एप के माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आयोग ने भरोसा दिलाया है कि शिकायत मिलने के एक घंटे के भीतर कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक दलों पर विशेष निगरानी
चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, मतदान से पहले मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए किसी भी तरह के उपहार या अन्य प्रलोभन देने की संभावनाओं को देखते हुए यह कड़े कदम उठाए गए हैं। पर्यवेक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में लगातार भ्रमण करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई करें।
दिल्ली निर्वाचन अधिकारी को विशेष सतर्कता बरतने के आदेश
आयोग ने दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया है कि मतदान प्रक्रिया निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो, इसके लिए विशेष सतर्कता बरती जाए। साथ ही, चुनाव प्रक्रिया के हर चरण में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएंगे नतीजे
दिल्ली विधानसभा चुनाव के तहत 5 फरवरी को मतदान होगा, जबकि 8 फरवरी को मतगणना के बाद चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने दिल्ली चुनाव की तारीखों की घोषणा 7 जनवरी को की थी।
चुनाव आयोग की इस सख्ती से स्पष्ट है कि वह निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। अब देखना होगा कि मतदान के दिन तक यह कड़ी निगरानी किस तरह से लागू होती है और चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिशों पर कितनी सख्ती से रोक लगाई जाती है।