दिल्ली पुलिस ने अरविंद केजरीवाल और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की, 18 अप्रैल को अगली सुनवाई

दिल्ली पुलिस ने अरविंद केजरीवाल और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की, 18 अप्रैल को अगली सुनवाई

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मटियाला सीट से विधायक गुलाब सिंह के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की है। यह मामला सार्वजनिक संपत्ति अधिनियम (PPA) के कथित उल्लंघन से जुड़ा है।

एफआईआर दर्ज, कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट

दिल्ली पुलिस ने राउज एवेन्यू कोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करते हुए सूचित किया कि शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है। अदालत ने पुलिस को मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था, जिसके अनुपालन में पुलिस ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।

Advertisement's
Advertisement’s

मामले की पृष्ठभूमि

इससे पहले राउज एवेन्यू कोर्ट ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में अरविंद केजरीवाल और विधायक गुलाब सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस द्वारा इस मामले में उचित जांच नहीं की गई है।

कोर्ट ने कहा कि पुलिस को यह स्पष्ट करना होगा कि शिकायत में उल्लिखित स्थानों पर होर्डिंग्स और बैनर किसने और क्यों लगाए। अदालत ने इस मामले की गहन जांच की आवश्यकता जताई थी। गौरतलब है कि 2022 में द्वारका स्थित मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया था, लेकिन सत्र न्यायालय ने इसे दोबारा सुनवाई के लिए मजिस्ट्रेट अदालत में भेज दिया था।

अदालत के निर्देश और पुलिस की भूमिका

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (ACJM) नेहा मित्तल ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट में विरोधाभास है। रिपोर्ट में यह बताया गया कि घटनास्थल पर कोई होर्डिंग्स या बैनर नहीं पाए गए, जबकि शिकायत की तारीख पर इनकी मौजूदगी की जानकारी दी गई थी। अदालत ने इस पर नाराजगी जताई और पुलिस को विस्तृत जांच के निर्देश दिए।

Advertisement's
Advertisement’s

राज्य की ओर से प्रस्तुत तर्क

राज्य की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि मामले में बहुत समय बीत चुका है और साक्ष्य एकत्र करना कठिन हो सकता है। इसके अलावा, प्रस्तुत तस्वीरों में बैनर और होर्डिंग्स बनाने वाली कंपनी या संस्था का नाम नहीं लिखा है। अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार कर दिया और कहा कि आरोपियों की पहचान और घटना के वास्तविक तथ्यों की जांच आवश्यक है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here