सियोल, दक्षिण कोरिया: दक्षिण कोरिया की राजनीतिक हलचलों ने गुरुवार को नया मोड़ ले लिया जब कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू ने टेलीविजन के माध्यम से अचानक इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। हान के इस निर्णय ने न केवल देश की सियासत को चौंकाया बल्कि आने वाले राष्ट्रपति उपचुनाव की दिशा भी बदल दी है।

देश के लिए “बड़ी जिम्मेदारी” उठाने की बात कही
हान डक-सू ने अपने टेलीविज़न संबोधन में कहा,
“मैंने देश के भविष्य और स्थायित्व के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी उठाने का निर्णय लिया है। यही कारण है कि मैंने कार्यवाहक राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया है।”
उनके इस बयान से साफ संकेत मिलते हैं कि वे आगामी राष्ट्रपति चुनाव में अपनी औपचारिक दावेदारी पेश करने जा रहे हैं। कोरियाई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, शुक्रवार को हान अपना राष्ट्रपति अभियान औपचारिक रूप से शुरू करेंगे।
South Korea's acting President Han Duck-soo says he's resigning, likely to run in next month's presidential election, reports AP.
— Press Trust of India (@PTI_News) May 1, 2025
यून सुक येओल के हटने के बाद हान को मिली थी जिम्मेदारी
गौरतलब है कि हान को प्रधानमंत्री के तौर पर तत्कालीन राष्ट्रपति यून सुक येओल ने नियुक्त किया था। लेकिन 3 दिसंबर 2024 को यून द्वारा अचानक मार्शल लॉ की घोषणा और उसके बाद उपजे जनआक्रोश ने उनकी सत्ता को संकट में डाल दिया। परिणामस्वरूप, उन्हें राष्ट्रपति पद से हटा दिया गया और हान को कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी दी गई।
क्यों महत्वपूर्ण है यह चुनाव?
यह चुनाव इसलिए भी ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि यह मार्शल लॉ की नाकाम कोशिश के बाद का पहला राष्ट्रपति चुनाव है। इस बीच देश में राजनीतिक अस्थिरता और जनविरोध बढ़ता गया, जिससे पीपुल्स पावर पार्टी (PPP) की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई।
अब जबकि हान डक-सू राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने जा रहे हैं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वह PPP के साथ गठबंधन कर सकते हैं, ताकि वे मुख्य विपक्षी नेता ली जे-म्यांग को चुनौती दे सकें, जो फिलहाल राष्ट्रपति पद के लिए सबसे आगे माने जा रहे हैं।

हान की उम्मीदवारी क्यों है खास?
हान डक-सू को एक अनुभवी, संयमित और प्रशासनिक दृष्टिकोण से दक्ष नेता के रूप में जाना जाता है। वे पहले भी प्रधानमंत्री, राजदूत और वरिष्ठ सलाहकार जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। उनका कार्यकाल एक स्थिर और नीति-आधारित प्रशासन का प्रतीक रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि हान की उम्मीदवारी से चुनाव में नीतिगत बहस और स्थिरता की दिशा में सुधार की उम्मीद की जा रही है, जो हालिया राजनीतिक संकट के बाद आवश्यक बन चुकी है।