Saturday, February 22, 2025
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ढाणी मेघसागर में आयोजित पशुपालन जन-जागरूकता शिविर: बीमा योजना के तहत पशुपालकों को मिला आर्थिक सुरक्षा कवच

झुंझुनू, ढाणी मेघसागर: राजस्थान सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना के तहत ढाणी मेघसागर में एक विशेष पशुपालन जन-जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर राजकीय पशु चिकित्सालय बुडानिया की ओर से संचालित किया गया, जिसमें पशुपालकों के लिए बीमा योजना के महत्व और लाभों पर विस्तार से जानकारी दी गई।

शिविर के प्रभारी विकास काला ने जानकारी देते हुए बताया कि यह योजना प्रदेश सरकार की फ्लैगशिप योजना है, जिसका उद्देश्य पशुपालकों को उनके पशुधन के आकस्मिक नुकसान के जोखिम से आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। योजना के तहत गाय, भैंस, भेड़, बकरी और ऊंट जैसे पशुओं का बीमा किया जाता है, जिससे उनकी आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में पशुपालकों को आर्थिक राहत मिल सके।

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योजना के अंतर्गत गोपाल क्रेडिट कार्ड धारक, लखपति दीदी योजना के लाभार्थी और लॉटरी के जरिए चयनित जन आधार कार्ड धारक पशुपालक पात्र हैं। ये लाभार्थी अधिकतम 2 दुधारू पशु (गाय/भैंस), 10 बकरी, 10 भेड़ या 1 ऊष्ट्रवंशीय पशु का निःशुल्क बीमा करवा सकते हैं।

पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेजों में जन आधार कार्ड, पशुपालक और पशु के साथ खींची गई फोटो, आधार से लिंक मोबाइल नंबर, गोपाल कार्ड या लखपति दीदी कार्ड और पशुओं का टैग नंबर शामिल है।

जन-जागरूकता शिविर में कुल 21 पशुओं का पंजीकरण किया गया और 18 पशुपालकों को योजना के तहत लाभान्वित किया गया। शिविर के सफल आयोजन में पशुधन निरीक्षक विनोद कुमार पुनिया, पशुधन परिचर जितेंद्र सिंह, चरण सिंह, मनोज, इंद्राज सिंह और राम सिंह सैनी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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यह शिविर न केवल पशुपालकों के लिए आर्थिक सुरक्षा कवच प्रदान करने का माध्यम बना, बल्कि उन्हें अपने पशुधन के प्रति और अधिक जागरूक भी किया। राजस्थान सरकार की यह पहल राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को प्रोत्साहित करने और आपदा की स्थिति में पशुपालकों को आर्थिक संबल प्रदान करने में मील का पत्थर साबित हो रही है।

मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना के तहत आयोजित यह शिविर पशुपालकों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है। योजना के सफल क्रियान्वयन से न केवल पशुपालकों का भरोसा बढ़ा है बल्कि पशुपालन के क्षेत्र में एक नई जागरूकता की लहर भी पैदा हुई है। राजस्थान सरकार का यह प्रयास प्रदेश के पशुपालकों को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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