नई दिल्ली: लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद और तनावपूर्ण माहौल के बीच चीन के विदेश मंत्री वांग यी आज से भारत के तीन दिवसीय महत्वपूर्ण दौरे पर हैं। इस यात्रा पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि वांग यी यहाँ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ उच्च-स्तरीय वार्ता करेंगे।
बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उनकी मुलाकात संभव है। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दोनों देशों के बीच भारत-चीन संबंधों को एक नई दिशा देने और LAC पर तनाव को कम करने का दबाव है।
सीमा विवाद और सुरक्षा पर टिकी हैं निगाहें
वांग यी के इस दौरे का सबसे बड़ा एजेंडा भारत-चीन सीमा विवाद पर 24वीं विशेष प्रतिनिधि (SR) स्तर की बैठक है। इस बैठक में वांग यी, NSA अजीत डोभाल के साथ सीमा मुद्दे के स्थायी समाधान पर चर्चा करेंगे। यह बातचीत इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल ही में देपसांग और डेमचोक जैसे तनाव वाले क्षेत्रों में सैन्य वापसी और गश्त फिर से शुरू करने पर सहमति बनी है।
दोनों पक्षों का लक्ष्य एक ऐसे पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान को खोजना है जो सीमा पर शांति और स्थिरता सुनिश्चित कर सके। इस बैठक से उम्मीद की जा रही है कि यह दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।
द्विपक्षीय संबंधों का नया अध्याय?
अपनी यात्रा के दौरान, वांग यी अपने समकक्ष विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ एक विस्तृत द्विपक्षीय बैठक करेंगे। इस वार्ता में व्यापार, सुरक्षा, क्षेत्रीय सहयोग और दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार असंतुलन को कम करने जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षेत्र में संयुक्त उद्यमों की संभावनाओं पर भी चर्चा हो सकती है। हाल के दिनों में कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और पर्यटक वीजा को फिर से खोलने जैसे कदमों ने सकारात्मक माहौल बनाया है, जिसे इस बैठक के जरिए और मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा।
शिखर सम्मेलन से पहले अहम मुलाकात
यह दौरा इसलिए भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से चीन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले हैं। इस बड़े वैश्विक मंच पर मुलाकात से पहले वांग यी की पीएम मोदी से होने वाली संभावित बैठक को दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच बेहतर समझ बनाने के एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है। इस मुलाकात में आतंकवाद जैसे क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ ब्रिक्स और जी-20 जैसे बहुपक्षीय मंचों पर साथ मिलकर काम करने पर भी विचार-विमर्श होने की संभावना है।