अमेरिका-चीन: अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ घटाने के ऐतिहासिक समझौते के बाद सोमवार को वैश्विक शेयर बाजारों में उत्साह की लहर दौड़ गई। यह 90 दिनों की अस्थायी राहत दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे ट्रेड वॉर को थामने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। इस ट्रेड वॉर ने न केवल द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित किया, बल्कि वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका को भी जन्म दिया था।
रायटर्स के अनुसार, यह समझौता मूल विवादों जैसे व्यापार घाटा और मादक पदार्थ फेंटेनिल पर अमेरिकी दबाव को पूरी तरह हल नहीं करता है, लेकिन एक सकारात्मक संकेत जरूर है।

शेयर बाजारों में बड़ी उछाल
इस समझौते की खबर के बाद अमेरिकी स्टॉक मार्केट में जबरदस्त तेजी देखने को मिली।
- डाऊ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज 2.81% की बढ़त के साथ 42,410.10 पर बंद हुआ।
- एसएंडपी 500 में 3.26% की तेज़ी आई और यह 5,844.19 के स्तर पर बंद हुआ।
- नैस्डैक ने सभी को चौंकाते हुए 4.35% की बंपर उछाल के साथ 18,708.34 पर कारोबार समाप्त किया।
इस बीच डॉलर की ताकत बढ़ी जबकि सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई, क्योंकि वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता की भावना थोड़ी कम हुई।
अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ में बड़ी नरमी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में हुई इस अस्थायी डील के तहत अमेरिका ने चीन से आने वाले उत्पादों पर लगाया गया 145% टैरिफ घटाकर 30% कर दिया है। वहीं, चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर लगे 125% टैरिफ को घटाकर 10% कर दिया है। यह बदलाव अगले 90 दिनों के लिए प्रभावी रहेगा।
यह समझौता ऐसे समय हुआ है जब लगभग 600 अरब डॉलर का व्यापार ठप पड़ा था, जिससे आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई थी और वैश्विक नौकरियों पर संकट खड़ा हो गया था।

बचे हुए मतभेद और अनिश्चितताएं
हालांकि यह समझौता एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापारिक असंतुलन जैसे गंभीर मुद्दे अभी सुलझे नहीं हैं। अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी यह स्वीकार किया कि चीन के साथ व्यापार संबंधों को पूरी तरह सुधारने में वर्षों लग सकते हैं।
वहीं, चीन के सरकारी मीडिया सीसीटीवी ने इसे ‘सहयोग के रास्ते’ की शुरुआत बताया और कहा कि “चीन ने अपने सिद्धांतों पर कायम रहते हुए अमेरिका के साथ सहयोग को प्राथमिकता दी है।”