अयोध्या, उत्तर प्रदेश: दीवाली के बाद अयोध्या एक बार फिर भव्यता की छटा बिखेरने को तैयार है। प्रभु श्रीराम के तिलकोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं, जिसमें जनकपुर से 300 से अधिक लोग तिलक लेकर अयोध्या पहुंच रहे हैं। यह आयोजन अयोध्या के रामसेवकपुरम में संपन्न होगा। इस शुभ अवसर पर सीता जी की सखियां, जिन्हें ‘तिलकहरू’ कहा जाता है, विशेष नेग लेकर रामनगरी में पहुंचेंगी।
तिलकोत्सव के लिए रामसेवकपुरम में मंच सजाया गया है, जहां 18 वर्षीय युवक, जो राम के स्वरूप में सज्जित होगा, सिंहासन पर विराजमान होगा। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ इस कार्यक्रम को संपन्न किया जाएगा, जिसमें सीता जी के छोटे भाई की भूमिका में जनकपुर के जानकी मंदिर के छोटे महंत रामरोशन दास शामिल होंगे।
प्रभु श्रीराम विवाहोत्सव की विशेष रूपरेखा
प्रभु राम के तिलकोत्सव से विवाह उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। 18 नवंबर को तिलकोत्सव के बाद, 26 नवंबर को बारात जनकपुरी के लिए प्रस्थान करेगी। 3 दिसंबर को जनकपुरी में विवाह उत्सव का आयोजन होगा और 6 दिसंबर को बाराती अयोध्या लौटेंगे।
यह आयोजन इसलिए भी खास है क्योंकि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहला मौका है जब राम विवाह उत्सव आयोजित किया जा रहा है। इस बार जनकपुरी के लोग तिलक उत्सव में लाए गए उपहार सीधे रामलला के विग्रह के समक्ष समर्पित करेंगे।
तिलकोत्सव के आयोजन की भव्यता
विहिप के राजेंद्र सिंह पंकज ने जानकारी दी कि तिलकहरुओं का अयोध्या आगमन 16 नवंबर से ही शुरू हो गया था। इनके ठहरने और सम्मान के लिए कारसेवकपुरम में विशेष भवन बनाए गए हैं। तिलकहरुओं के साथ लगभग 100 वाहनों का काफिला, जिसमें 501 प्रकार के नेग शामिल होंगे, अयोध्या पहुंचेगा। वैदिक आचार्यों के मंत्रोच्चार के साथ तिलक चढ़ाने की प्रक्रिया पूर्ण होगी।
रामनगरी में उल्लास का माहौल
अयोध्या में इस समय उत्सव जैसा माहौल है। तिलकोत्सव के लिए मंदिर परिसर और रामसेवकपुरम को फूलों और दीपों से सजाया गया है। स्थानीय लोग और पर्यटक इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनने के लिए उत्साहित हैं। रामसेवकपुरम में भक्तों के लिए भव्य आयोजन देखने का विशेष प्रबंध किया गया है।
आयोजन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
अयोध्या के राम विवाह उत्सव का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं का भी एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। राम और सीता के विवाह का यह उत्सव रामायण काल की स्मृतियों को पुनर्जीवित करता है और भक्तों को भगवान राम के आदर्श जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश देता है।