उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) कोटे में मुस्लिम समुदाय को दिए जा रहे आरक्षण की समीक्षा करने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, राज्य में 24 से अधिक मुस्लिम जातियों को ओबीसी कोटे में आरक्षण मिलता है, जिसके लिए सपा सरकार के कार्यकाल में नियम बनाए गए थे। अब इन नियमों की पुनः जांच की जा सकती है।
ओबीसी कोटे की वर्तमान स्थिति
यूपी में वर्तमान में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है, जिसमें मुस्लिमों की लगभग दो दर्जन जातियों को शामिल किया गया है। यह जाँच का विषय है कि इन जातियों को किस आधार पर ओबीसी कोटे में शामिल किया गया और इस आरक्षण का लाभ किस प्रकार से दिया जा रहा है।
सपा सरकार के कार्यकाल में बने नियम
सूत्रों का कहना है कि सपा सरकार के दौरान मुस्लिम जातियों को ओबीसी कोटे में शामिल करने के लिए नियम बनाए गए थे। बीजेपी का दावा है कि इन नियमों का पालन सही ढंग से नहीं किया गया था और इनकी प्रक्रिया में कई अनियमितताएँ थीं। इसलिए, अब योगी सरकार ने इस मामले की गहराई से पड़ताल करने का निर्णय लिया है।
पिछड़ा कल्याण बोर्ड की भूमिका
यूपी सरकार का पिछड़ा कल्याण बोर्ड इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बोर्ड को यह आदेश दिया गया है कि वह विस्तृत जानकारी जुटाए और यह पता लगाए कि अब तक कितने लोगों और जातियों को इस आरक्षण का लाभ मिला है। इस डेटा की समीक्षा के बाद ही सरकार आगे की कार्रवाई कर सकती है।
राजनीतिक संदर्भ
यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब चुनाव का माहौल गरमा रहा है और विपक्षी दल लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि अगर बीजेपी सत्ता में वापस आई तो आरक्षण को खत्म किया जा सकता है। वहीं, बीजेपी का आरोप है कि विपक्षी दल पिछड़ों के आरक्षण में कटौती करके मुस्लिमों को आरक्षण दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस मामले में व्यक्तिगत रूप से शामिल हो सकते हैं, हालांकि इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि आरक्षण से संबंधित सभी बारीकियों की गहन जांच की जाएगी और उचित कदम उठाए जाएंगे।