नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान पत्र (EPIC) में गड़बड़ी और फर्जीवाड़े को रोकने के लिए देशभर में मतदाता पहचान पत्रों को आधार से जोड़ने का महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इस निर्णय के तहत चुनाव आयोग और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के तकनीकी विशेषज्ञ मिलकर जल्द ही इस प्रक्रिया को लागू करेंगे।

66 करोड़ से अधिक मतदाताओं के आधार जुड़े
चुनाव आयोग के अनुसार, वर्तमान में 66 करोड़ से अधिक मतदाताओं के आधार विवरण आयोग के पास मौजूद हैं। यह डेटा स्वैच्छिक रूप से मतदाताओं द्वारा उपलब्ध कराया गया है। अब आयोग शेष 33 करोड़ मतदाताओं के आधार विवरण जुटाने की प्रक्रिया को तेज करेगा।
फर्जी नामों की होगी पहचान
आधार से EPIC को जोड़ने से मतदाता सूची में दर्ज फर्जी नामों की पहचान संभव होगी। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का डेटा साझा नहीं किया जाएगा, बल्कि केवल मतदाता की प्रमाणिकता सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही मतदाता सूची में दोहरे पंजीकरण की समस्या का भी समाधान हो सकेगा।
कानूनी पहलुओं की समीक्षा
इस फैसले से पहले चुनाव आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व कानून की धारा 326 के प्रावधानों और संविधान के अनुच्छेद 23(4), 23(5) और 23(6) की कानूनी व्याख्या की समीक्षा की। साथ ही, 2023 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार को अनिवार्य न किए जाने के फैसले को भी ध्यान में रखा गया।

मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के फायदे
- फर्जी मतदाता की पहचान: दोहरे पंजीकरण और फर्जी नामों की पहचान में आसानी होगी।
- सटीक मतदाता सूची: सत्यापित मतदाताओं की सूची तैयार की जा सकेगी।
- राजनीतिक दलों की शिकायतों का समाधान: राजनीतिक दलों की शिकायतों को कम किया जा सकेगा।
- प्रभावी चुनाव प्रक्रिया: चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी।
- पते के बदलाव में सरलता: आधार से लिंक होने पर मतदाता अपने EPIC में आसानी से पते में परिवर्तन कर सकेंगे।
उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया निर्णय
यह फैसला केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव और UIDAI के सीईओ के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त एसएस संधू और विवेक जोशी की बैठक के बाद लिया गया। इस दौरान चुनाव आयोग ने आधार-EPIC लिंकिंग के लिए बनाई गई एप्लिकेशन की भी जानकारी दी।