चीन-ताइवान संबंध: ताइवान के 80 प्रतिशत से अधिक लोग चाहते हैं कि चीन के साथ यथास्थिति बनी रहे. सेंट्रेल न्यूज एजेंसी ताइवान द्वारा प्रकाशित एक सर्वेक्षण से पता चला है कि ताइवान के लोगों का झुकाव की चीन की तरफ कम होता जा रहा है. साल 2020 के बाद से ज्यादातर लोग चीन के साथ यथास्थिति अनिश्चितकाल तक बनाए रखना चाहते हैं.
ताइवान के सर्वेक्षण में साल 1994 से लेकर 2023 तक का डेटा दिखाया गया है, जिसमें यह जानने का प्रयास किया गया है कि चीन के साथ ताइवान के लोग क्या चाहते हैं. इसको लेकर सर्वेक्षण एजेंसी ने लोगों से तैयार किए हुए तीन प्रश्न पूछे. इससे पता चला है कि यथास्थित की चाहत साल दर साल बढ़ती जा रही है. साल 2023 के सर्वेक्षण के मुताबिक 33.2 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो केंद्र के अनुसार अनिश्चितकाल तक चीन के साथ यथास्थिति बनाए रखना चाहते हैं. 27.9 फीसदी ऐसे लोग हैं जो अभी यथास्थित चाहते हैं, बाद में करना है इसका विचार करने की सोचते हैं. वहीं 21.5 फीसदी ऐसे लोग हैं जो चाहते हैं कि अभी यथास्थित बनाए रखें बाद में स्वतंत्रता की ओर बढ़ें.
चीन के साथ कितने फीसदी लोग चाहते हैं एकीकरण
सेंट्रल न्यूज एजेंसी ताइवान के मुताबिक इन तीन स्थितियों के मुताबिक 82.6 फीसदी ऐसे लोग हैं जो फिलहाल यथास्थिति चाहते हैं, जिनकी संख्या सबसे अधिक है. सबसे कम पसंदीदा विकल्प ‘जितनी जल्दी हो सके चीन के साथ एकीकरण’ का था, जो सर्वे शुरू होने से साल 2023 तक 5 फीसदी से हमेशा नीचे रहा है. वहीं साल 2023 में ऐसे लोगों की संख्या मात्र 1.2 फीसदी है. ऐसे लोग जो यथास्थित बनाने के साथ ही एकीकरण चाहते हैं उनकी संख्या साल 1994 में 15.6 फीसदी थी जो साल 2023 में घटकर 6.2 फीसदी पर आ गई है.
साल 2020 के बाद इस श्रेणी के बढ़ रहे लोग
ताइवान की तत्काल स्वंत्रता की चाहत रखने वाले साल 2023 में मात्र 3.8 फीसदी लोग हैं. रिपोर्ट के मुताबिक दशकों से तत्काल स्वंत्रता की चाहत रखने वालों की संख्या कभी भी 7.8 फीसदी से ऊपर नहीं गई. सेंट्रल न्यूज एजेंसी ताइवान ने बताया कि जो लोग ताइवान की आजादी चाहते हैं उनकी संख्या लगातार साल 2020 के बाद से घटती जा रही है. सबसे तेजी से ऐसे लोगों की श्रेणी बढ़ रही है जो अनिश्चित काल तक यथास्थित बनाए रखना चाहते हैं. यह 1994 में 9.8 फीसदी से बढ़कर साल 2023 में 32.3 फीसदी हो गया है, यह श्रेणी साल 2020 के बाद से तेजी से बढ़ी है.