चिड़ावा: सरकारी अस्पताल में 108 और 104 एंबुलेंस कर्मियों द्वारा रात्रि विश्राम के लिए उपयोग किए जा रहे कमरों को अचानक खाली करवाए जाने के बाद मामला गरमा गया है। कम वेतन में जनता की सेवा करने वाले इन एंबुलेंस चालकों ने एसडीएम से हस्तक्षेप की मांग की है और आरोप लगाया है कि वे अपने खर्च पर कमरे को रहने योग्य बनाकर उपयोग कर रहे थे। सोशल मीडिया पर यह मुद्दा तेजी से वायरल हो रहा है और प्रशासनिक संवेदनशीलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
15 नवंबर 2025 को अस्पताल के पीछे स्थित बिल्डिंग पर कंडम घोषित करते हुए नोटिस चिपका दिया गया। आज गुरूवार को स्टाफ को कमरे से बाहर निकाल कर कमरे पर ताला लगा दिया गया। यह वही बिल्डिंग है जिसमें 108 और 104 एंबुलेंस चालक और स्टाफ रात्रि विश्राम करते थे। स्टाफ ने बताया कि जब उन्हें कमरे दिए गए थे, तब उनमें न बिजली की सुविधा थी न पानी की, और न ही किसी प्रकार की मरम्मत की गई थी।
एंबुलेंस चालक दल ने बताया कि उन्होंने अपनी जेब से करीब 20 हजार रुपये का खर्च कर बिजली फिटिंग, पानी की लाइन और अन्य आवश्यक मरम्मत करवाकर कमरों को रहने योग्य बनाया था। उनका कहना है कि कम वेतन में बाहर कमरे लेकर रहना संभव नहीं है, इसलिए अस्पताल परिसर में रात्रि विश्राम अनिवार्य है ताकि आपातकालीन सेवाओं में देरी न हो।
स्टाफ ने ज्ञापन में यह भी लिखा कि अस्पताल में डॉक्टर और नर्सों के क्वार्टर भी इसी तरह कि स्थिति में हैं, लेकिन उनका उपयोग जारी है। ऐसे में केवल एंबुलेंस चालकों को कमरे खाली कराने के निर्णय पर सवाल उठाए गए।
एंबुलेंस कर्मियों ने एसडीएम से निवेदन किया है कि जब तक पीएमओ द्वारा बिल्डिंग को तोड़ने का औपचारिक आदेश जारी नहीं किया जाता, तब तक नोटिस रोका जाए। उन्होंने लिखित में आश्वस्त किया है कि जैसे ही बिल्डिंग तोड़ी जाएगी, वे तत्काल कमरे खाली कर देंगे।
स्टाफ ने कहा कि यदि अस्पताल प्रबंधन को 108 और 104 एंबुलेंस सेवा की जरूरत नहीं है, तो इस बारे में लिखित आदेश जारी किया जाए, ताकि उनके स्टाफ को किसी अन्य स्थान पर रहने की उचित व्यवस्था मिल सके।
एंबुलेंस चालक दल ने लिखित में कहा है कि यदि इस जर्जर क्वार्टर में रहते हुए किसी प्रकार की दुर्घटना होती है, तो वे स्वयं इसकी जिम्मेदारी लेंगे और उनके परिवारजन भी किसी प्रकार का दावा नहीं करेंगे। उनका कहना है कि जनता की सेवा बाधित न हो, इसलिए मजबूरी में वे इसी बिल्डिंग में रह रहे हैं।
एंबुलेंस स्टाफ ने एसडीएम से तुरंत निरीक्षण करवाने की मांग की है, ताकि वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सके और जनहित में निर्णय लिया जा सके। यह मामला अब स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए गंभीर विषय बन चुका है।
ज्ञापन देने वालों में 108 एंबुलेंस यूनियन जिलाध्यक्ष मनेन्द्र सिंह, मुकेश (बंटी नूनिया), सतीश कुमार, अरविंद कुमार, नरेश लांबा, अंकित निर्मल मौजूद रहे।




