चिड़ावा, 5 मई 2025: शहर में रात का अंधेरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, और इसका मुख्य कारण नगरपालिका की उदासीनता मानी जा रही है। शहर की रोशनी व्यवस्था को बनाए रखने में नगरपालिका की ओर से कोई ध्यान न दिए जाने के चलते स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। बिजली विभाग का दो करोड़ आठ लाख रुपये से अधिक का बिल बकाया होने के कारण दो महीने पहले शहर के मुख्य चौराहों पर लगी हाईमास्ट लाइटों के कनेक्शन काट दिए गए थे। अब पिछले एक महीने से शहर की गलियों और मुख्य सड़कों पर लगी स्ट्रीट लाइटें भी बंद हो रही हैं, जिससे शाम होते ही चारों ओर अंधेरा छा जाता है।

जानकारी के अनुसार, चार महीने पहले झुंझुनूं की एक ठेकेदार फर्म शाहिल कंस्ट्रक्शन को चिड़ावा शहर में स्ट्रीट लाइटों के रखरखाव का जिम्मा सौंपा गया था। फर्म ने इस कार्य के लिए पांच कर्मचारियों और एक वाहन की व्यवस्था की थी। फर्म का पहले महीने का एक लाख साठ हजार के करीब रुपये का बिल नगरपालिका ने तीन महीने बीत जाने के बाद भी पास नहीं किया। मजबूरी में फर्म को अपना काम बंद करना पड़ा। ठेकेदार अलिशेर खान ने बताया कि उन्होंने कई बार नगरपालिका के चक्कर लगाए, लेकिन हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर टाल दिया जाता है। कभी अधिकारियों की अनुपस्थिति का हवाला दिया जाता है, तो कभी कागजात में कमी बताकर लौटा दिया जाता है।
पिछले एक महीने से स्ट्रीट लाइटों का रखरखाव ठप होने के कारण शहर के कई हिस्सों में अंधेरा पसर गया है। वार्ड नंबर 39 में श्याम मंदिर के पीछे, खेतड़ी रोड, चिड़ावा कॉलेज के आसपास, वार्ड नंबर 11 और 13, शिव हनुमान मंदिर, गोल मार्केट के सामने, गौशाला रोड, भैया जी का चौक, थाने के पास की गली, और वार्ड नंबर 24 सहित कई क्षेत्रों में रात के समय अंधेरा छा रहा है। चार अप्रैल के बाद से जो भी स्ट्रीट लाइटें खराब हुईं, उन्हें ठीक करने की कोई कोशिश नहीं की गई।
दो महीने पहले बिजली विभाग ने नगरपालिका से बार-बार बकाया भुगतान की मांग की थी, लेकिन कोई जवाब न मिलने पर हाईमास्ट लाइटों के कनेक्शन काट दिए गए। इसके बाद से शहर के मुख्य चौराहे भी अंधेरे में डूबे हुए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय अंधेरे के कारण असुरक्षा का माहौल बन गया है, और दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है।

नगरपालिका की इस लापरवाही से नाराज़ नागरिकों का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारी इस समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं, और शायद वे किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं। लोगों ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है, ताकि शहर में रोशनी की व्यवस्था बहाल हो सके और आमजन को राहत मिले।
चिड़ावा शहर की यह स्थिति न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि बुनियादी सुविधाओं के प्रति जिम्मेदारों का रवैया कितना गैर-जिम्मेदाराना हो सकता है। अब देखना यह है कि इस समस्या का समाधान कब और कैसे होगा।