चिड़ावा, 31 जनवरी। शहर में रेबीज संक्रमण तेजी से फैल रहा है, जिससे स्थानीय प्रशासन और पशु प्रेमियों में हड़कंप मच गया है। खासकर गायों और सांडों में इस बीमारी के बढ़ते मामलों ने खतरे की घंटी बजा दी है।
ताजा मामला मोहनका की ढाणी स्थित शनि मंदिर के पास का है, जहां एक गाय में रेबीज के स्पष्ट लक्षण देखे गए। जैसे ही स्थानीय लोगों को इस बारे में पता चला, उन्होंने गौरक्षकों को सूचित किया। मौके पर पहुंचकर गौसेवकों ने सुरक्षा उपाय अपनाते हुए संक्रमित गाय को एक जाटी के पेड़ से बांधकर नियंत्रण में लिया।
संक्रमण का फैलाव! प्रशासन ने संभाली स्थिति
गौसेवकों ने नगरपालिका प्रशासन को इस गंभीर स्थिति से अवगत कराया। सूचना मिलते ही नगरपालिका कर्मचारी आकाश जांगिड़ और स्टोर प्रभारी दीपक जांगिड़ मौके पर पहुंचे और स्थिति का निरीक्षण किया।
- गौसेवकों ने मांग उठाई कि लम्पी बीमारी के समय इस्तेमाल किए गए रेलवे स्टेशन प्लॉट को रेबीज संक्रमित जानवरों के इलाज के लिए दिया जाए।
- प्रशासन ने इस पर संक्रमित जानवरों को वहां शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
- इसी दौरान कॉलेज रोड पर एक संक्रमित गौवंश की मौत हो गई, जिससे हालात और गंभीर हो गए।
शहर में रेबीज का खौफ—अब आगे क्या?
प्रशासन ने शहर के अन्य क्षेत्रों में रेबीज पीड़ित जानवरों की पहचान शुरू कर दी है।

- नगरपालिका उपाध्यक्ष अभयसिंह बड़ेसरा, डॉ रामबिहारी, डॉ राजेश सिंगला, गौसेवक बिट्टू पारीक, जीव रक्षा दल से अनूप भाटी, प्रशांत जांगिड़, राकेश करोल, देव योगी DK, त्रिलोक रक्षकाय फाउंडेशन अडुका से डॉ अनुराग और चन्दगी राम सहित कई स्थानीय लोग इस मुहिम में जुटे हैं।
- विशेष टीमें शहर में रेबीज संक्रमित जानवरों की तलाश में लगी हैं, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
बड़ा सवाल—क्या अब खतरा टल गया है?
चिड़ावा में रेबीज के बढ़ते मामलों ने लोगों को सतर्क कर दिया है। प्रशासन संक्रमण को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है लेकिन अभी भी खतरा पूरी तरह टला नहीं है।
अब सवाल उठता है—
- क्या शहर में और अधिक रेबीज पीड़ित जानवर मौजूद हैं?
- क्या प्रशासन समय रहते इस संक्रमण को रोक पाएगा?
- या फिर चिड़ावा में यह बीमारी और भी गंभीर रूप ले सकती है?
इस भयावह सच्चाई का जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा!