चिड़ावा: क्षेत्र की पारंपरिक कला को दशकों तक जीवंत बनाए रखने वाले वरिष्ठ मिट्टी शिल्प कलाकार सूंडा राम प्रजापत का सोमवार शाम निधन हो गया। हृदय गति रुकने से 80 वर्ष की आयु में उनका देहांत हुआ। उनके निधन की खबर फैलते ही चिड़ावा सहित आसपास के क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ गई। मिट्टी से बने पारंपरिक बर्तनों और कलात्मक शिल्प के माध्यम से उन्होंने ग्रामीण कला को पहचान दिलाई थी।
हृदय गति रुकने से हुआ निधन, कुछ समय से चल रहे थे अस्वस्थ
परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार, चिड़ावा शहर में लोहिया स्कूल के पास रहने वाले सूंडा राम प्रजापत पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। सोमवार शाम अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें संभलने का मौका नहीं मिला और हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया। निधन के समय उनकी उम्र लगभग 80 वर्ष बताई गई।
पारंपरिक मिट्टी शिल्प के क्षेत्र में बनाई विशिष्ट पहचान
सूंडा राम प्रजापत मिट्टी से बनने वाले पारंपरिक बर्तनों, दीपकों और ग्रामीण उपयोग की कलात्मक वस्तुओं के लिए जाने जाते थे। वर्षों तक उन्होंने अपनी मेहनत और कला कौशल से चिड़ावा ही नहीं, बल्कि झुंझुनूं जिले और आसपास के क्षेत्रों में भी पहचान बनाई। उनकी कारीगरी को ग्रामीण कला और पारंपरिक शिल्प का जीवंत प्रतीक माना जाता था।
स्थानीय कला जगत को अपूरणीय क्षति
वरिष्ठ कलाकार सूंडा राम प्रजापत के निधन को स्थानीय कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति माना जा रहा है। वे आने वाली पीढ़ियों के लिए पारंपरिक मिट्टी शिल्प को सहेजने और आगे बढ़ाने का माध्यम बने रहे। उनके जाने से चिड़ावा क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को गहरा आघात पहुंचा है।
शोक संवेदनाओं का सिलसिला जारी, क्षेत्र में शोक का माहौल
सूंडा राम प्रजापत के निधन की सूचना मिलते ही क्षेत्र में शोक का माहौल बन गया। इस दुखद अवसर पर भाजपा नेता राजेश दहिया, पूर्व चेयरमैन शंकरलाल वर्मा, बाबूलाल वर्मा, विनोद सिंघाना, राजेश वर्मा, मुकेश जालिंद्रा, महेंद्र कुमावत, सुरेश जलिंद्रा, गोपीराम, लक्ष्मी, राधेश्याम ऑपरेटर सहित अनेक सामाजिक और कला क्षेत्र से जुड़े लोगों ने गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।





