नई दिल्ली: भारत के विमानन क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने पानीपत रिफाइनरी में खाना पकाने के बाद बचा तेल (Used Cooking Oil) से सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) बनाने का प्रमाणन हासिल कर लिया है। कंपनी के चेयरमैन अरविंदर सिंह साहनी ने जानकारी दी कि यह कदम भारत को ग्रीन एनर्जी, टिकाऊ ईंधन और कार्बन उत्सर्जन में कमी की दिशा में ऐतिहासिक बढ़त दिलाएगा।
इस्तेमाल हुआ तेल बनेगा हवाई जहाज का ईंधन
आमतौर पर घरों और रेस्टॉरेंट में खाना तलने के बाद का तेल फेंक दिया जाता है। लेकिन अब इसी तेल से जेट फ्यूल तैयार होगा। बड़े होटल और रेस्टॉरेंट से यह तेल इकट्ठा कर पानीपत रिफाइनरी भेजा जाएगा, जहां से इसका उपयोग SAF उत्पादन में किया जाएगा।
पानीपत रिफाइनरी को मिला अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन
आईओसी की पानीपत रिफाइनरी ने अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (ICAO) से ISCC CORSIA प्रमाणन हासिल किया है। साहनी ने बताया कि इंडियन ऑयल यह प्रमाणन पाने वाली भारत की पहली कंपनी बन गई है।
सालाना 35,000 टन उत्पादन
साहनी ने कहा कि इस साल के अंत तक पानीपत रिफाइनरी से हर साल लगभग 35,000 टन SAF का उत्पादन शुरू होगा। यह उत्पादन 2027 से अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनों के लिए अनिवार्य किए गए 1% SAF मिश्रण की आवश्यकता पूरी करने के लिए पर्याप्त होगा।
कार्बन उत्सर्जन में आएगी बड़ी कमी
सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल को पारंपरिक एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) में 50% तक मिलाया जा सकता है। इससे हवाई जहाजों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आएगी और भारत की ग्रीन एविएशन पॉलिसी को मजबूती मिलेगी।
बड़े होटल और ब्रांड्स होंगे सप्लायर
आईओसी बड़े होटल चेन, रेस्टॉरेंट्स और हल्दीराम जैसे स्नैक्स ब्रांड्स से इस्तेमाल किया हुआ तेल खरीदेगी। वर्तमान में यह तेल ज्यादातर निर्यात किया जाता है, लेकिन अब इसका उपयोग भारत की विमानन जरूरतों को पूरा करने में होगा।