Thursday, November 21, 2024
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कैलाश गहलोत ने भाजपा जॉइन करने के बाद AAP पर उठाए सवाल, कहा- ‘पार्टी के मूल्य और सिद्धांत कमजोर हो गए’

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) को एक बड़ा झटका देते हुए, पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत ने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) का दामन थाम लिया। गहलोत ने इस कदम को उठाने के पीछे पार्टी के मूल्यों और सिद्धांतों से मोहभंग को प्रमुख कारण बताया। उनका कहना था कि यह निर्णय एक दिन में नहीं लिया गया, बल्कि लंबे समय तक पार्टी की गतिविधियों और उसके निर्णयों को देखकर लिया गया है।

आप के मूल्यों में गिरावट महसूस हुई

कैलाश गहलोत ने अपने इस्तीफे के बारे में बात करते हुए कहा, “यह रातों-रात का निर्णय नहीं था। मैंने देखा कि जिन मूल्यों और सिद्धांतों से हम जुड़े थे, उनमें कमी आ रही थी। मैंने साहस जुटाकर पार्टी छोड़ी, लेकिन और भी लोग हैं, जो इसी स्थिति में हैं, लेकिन वे अभी साहस नहीं कर पा रहे हैं।” उनका यह बयान आप पार्टी के भीतर असंतोष और संभावित दलबदल की ओर इशारा करता है।

गहलोत ने यह भी कहा कि उनका आप से जुड़ाव केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक भी था। वह 2015 से पार्टी के साथ जुड़े थे और उन्होंने पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की थी। “यह ऐसा नहीं है जैसे किसी दुकान में जाकर जैकेट खरीद ली। यह फैसला कई महीनों की पीड़ा और विचार के बाद लिया गया,” गहलोत ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा।

विभाग आवंटन पर असंतोष की अटकलों का खंडन

हालांकि, आप के भीतर कैलाश गहलोत के विभाग आवंटन को लेकर असंतोष की खबरें चर्चा में थीं, लेकिन गहलोत ने इसे नकारते हुए कहा कि उन्हें परिवहन मंत्री के रूप में अपनी भूमिका से कोई शिकायत नहीं थी। उन्होंने कहा, “यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि वह विभाग किसे दें, और मुझे इससे कोई शिकायत नहीं है।”

भाजपा में स्वागत और नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत

कैलाश गहलोत का भाजपा में स्वागत करते हुए केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने उनका स्वागत किया। यह कदम गहलोत के राजनीतिक जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। भाजपा में शामिल होने के बाद गहलोत ने कहा कि वह पार्टी के साथ मिलकर देश की सेवा करेंगे और अपनी निष्ठा से राजनीति में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में काम करेंगे।

आप के लिए गंभीर झटका

गहलोत का आप से इस्तीफा न केवल पार्टी के लिए एक गंभीर झटका है, बल्कि यह पार्टी के भीतर असंतोष और आंतरिक चुनौतियों को भी उजागर करता है। यह सवाल उठता है कि क्या आप के अन्य नेता भी पार्टी से मोहभंग महसूस कर रहे हैं और क्या इस दलबदल की लहर का असर पार्टी की आंतरिक राजनीति पर पड़ेगा।

राजनीतिक ईमानदारी और सिद्धांतों की महत्ता

कैलाश गहलोत का यह कदम केवल उनके व्यक्तिगत राजनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राजनीति में सिद्धांतों और मूल्यों की महत्ता है। गहलोत का यह निर्णय यह साबित करता है कि राजनीतिक ईमानदारी और सिद्धांतों के प्रति निष्ठा किसी भी राजनीतिक दल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस फैसले के बाद, दिल्ली और राष्ट्रीय राजनीति पर इसके दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं।

आप के लिए भविष्य की चुनौतियां

कैलाश गहलोत का भाजपा में शामिल होना न केवल राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव है, बल्कि यह आप के भीतर सिद्धांतों और मूल्यों को लेकर गंभीर चिंताओं को भी उजागर करता है। पार्टी को अब यह सोचने की आवश्यकता है कि क्या वह अपने मूल्यों और सिद्धांतों को सशक्त बनाए रखने में सक्षम है या नहीं। इसके अलावा, पार्टी के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं में बढ़ते असंतोष और दलबदल की आशंकाओं को भी पार्टी को संबोधित करना होगा।

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