नई दिल्ली: हाल ही में सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही इस अफवाह पर केंद्र सरकार ने विराम लगा दिया है जिसमें यह दावा किया जा रहा था कि 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई (UPI) लेन-देन पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाया जाएगा। इस पर वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट बयान जारी करते हुए इन दावों को पूरी तरह निराधार और भ्रामक बताया है। मंत्रालय ने कहा है कि सरकार की ओर से इस संबंध में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

क्या है वायरल अफवाह?
सोशल मीडिया और कुछ ऑनलाइन मंचों पर यह गलत सूचना फैल रही थी कि यदि कोई व्यक्ति 2,000 रुपये से अधिक की राशि का UPI लेन-देन करता है, तो उसे उस ट्रांजैक्शन पर GST देना होगा। इस खबर ने आम जनता, विशेषकर डिजिटल भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं के बीच भ्रम की स्थिति पैदा कर दी थी।
वित्त मंत्रालय की प्रतिक्रिया
वित्त मंत्रालय ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल और प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से इन दावों का खंडन किया है। मंत्रालय ने कहा:
“UPI लेनदेन पर 2,000 रुपये से अधिक की राशि पर जीएसटी लगाए जाने की कोई योजना नहीं है। इस तरह की खबरें पूरी तरह से गलत, भ्रामक और तथ्यहीन हैं।”

UPI लेनदेन पर पहले से ही कोई MDR नहीं
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने 30 दिसंबर 2019 को एक अधिसूचना जारी की थी जिसके तहत पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) UPI लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) पूरी तरह से हटा दिया गया था। यह अधिसूचना 1 जनवरी 2020 से प्रभावी हो गई थी।