काशी, उत्तर प्रदेश: शुक्रवार को काशी में देव दीपावली का महापर्व अपने संपूर्ण भव्यता और दिव्यता के साथ मनाया जाएगा। कार्तिक पूर्णिमा पर आयोजित इस आयोजन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर के संहार के उपलक्ष्य में देवताओं द्वारा स्वर्ग में मनाई गई दीपावली के स्वरूप को काशी के घाटों पर साकार किया जाता है। इस महापर्व पर मां गंगा के 84 घाट, कुंड, सरोवर, और देवालय 17 लाख दीपों से आलोकित होंगे।
गंगा का स्वर्णिम चंद्रहार: धर्म और आस्था का संगम
उत्तरवाहिनी गंगा की पवित्र धाराओं पर 17 लाख दीपों से बनी रोशनी की लहरें हर किसी को मोहित करेंगी। इस अद्वितीय दृश्य का साक्षात्कार करने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक वाराणसी पहुंच चुके हैं। गुरुवार से ही बनारस की सड़कों पर आस्थावानों का जनसैलाब उमड़ने लगा है।
शहर को दुल्हन सा सजाया गया है
पूरी काशी को रंग-बिरंगी रोशनी, झालरों और फूलों से सजाया गया है। सड़कों और गलियों से लेकर मंदिरों और घाटों तक हर कोना दीपमालाओं से प्रकाशमान है। गंगा की लहरों से टकराती रोशनी अलौकिक छवि प्रस्तुत कर रही है।
उपराष्ट्रपति करेंगे दीपोत्सव का शुभारंभ
नमो घाट पर शुक्रवार की शाम उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी दीप प्रज्वलन कर दीपोत्सव का शुभारंभ करेंगे। इस अवसर पर 84 घाटों पर लाखों दीप एक साथ प्रज्ज्वलित होंगे।
विशेष घाटों पर होगी अनूठी सजावट और आरती
दशाश्वमेध घाट
यहां होने वाली महाआरती को 20 क्विंटल फूलों से सजाया जा रहा है। इस आरती को कारगिल युद्ध के शहीदों को समर्पित किया गया है। आरती में 21 अर्चक और 42 देव कन्याएं शामिल होंगी। यहां “भगीरथ शौर्य सम्मान” भी दिया जाएगा।
अहिल्याबाई घाट
श्रीश्री काशी गंगा सेवा समिति द्वारा मां गंगा का विशेष पूजन और आकर्षक आरती का आयोजन होगा। झांकियां और विद्वानों के व्याख्यान इस घाट की खासियत होंगे।
जैन घाट
यहां भगवान महावीर के सिद्धांतों को दर्शाया जाएगा। 5100 दीपों से सजावट की जाएगी, जो “जीयो और जीने दो” का संदेश देंगे।
राजा घाट और मीर घाट
इन घाटों पर दीयों से विशेष सजावट की गई है। आयोजकों ने इस वर्ष स्वच्छता और पर्यावरणीय संदेश पर ध्यान केंद्रित किया है।
काशी विश्वनाथ धाम में विशेष आयोजन
बाबा विश्वनाथ के मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया गया है। धाम के हर कोने में दीप जलाए जाएंगे। ललिता घाट के गंगा द्वार को भी भव्य रूप से सजाया जाएगा।
दीपोत्सव के सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश
घाटों पर दीपों और पुष्पों से बनाई गई कलाकृतियां धर्म, आदर्श, शुचिता, और सामाजिकता का संदेश देंगी। सरकार ने 12 लाख दीपों की व्यवस्था की है, जबकि 5 लाख दीप संगठनों और समितियों के सहयोग से जलाए जाएंगे। इनमें से तीन लाख दीप गाय के गोबर से निर्मित हैं, जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं।