बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने राज्य में सभी मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) घोषित कर आरक्षण का लाभ देने का फैसला किया है। इस फैसले पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने सवाल उठाए हैं।
एनसीबीसी का कहना है कि यह फैसला “सामाजिक न्याय के सिद्धांतों” को कमजोर करेगा और राज्य में अन्य पिछड़ा वर्गों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाएगा।
एनसीबीसी की प्रेस रिलीज के अनुसार:
कर्नाटक सरकार ने राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण के लिए सभी मुस्लिम समुदायों को ओबीसी सूची में शामिल किया है।
यह फैसला श्रेणी 2B के तहत लागू किया जाएगा।
एनसीबीसी अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर ने कहा कि कर्नाटक में मुस्लिम आबादी 12.92% है और उन्हें धार्मिक अल्पसंख्यक माना जाता है।
2011 की जनगणना के अनुसार, कर्नाटक में मुस्लिमों की आबादी 12.32% थी।
एनसीबीसी की आलोचना:
एनसीबीसी ने आरक्षण के उद्देश्यों के लिए मुस्लिम समुदाय को पिछड़ा वर्ग घोषित करने के सरकार के फैसले की आलोचना की है।
आयोग का कहना है कि इस फैसले से अन्य पिछड़ा वर्गों के हितों को नुकसान पहुंचेगा।
एनसीबीसी ने यह भी कहा है कि कर्नाटक सरकार ने यह फैसला बिना किसी उचित सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के लिया है।
कौन से मुस्लिम समुदायों को OBC घोषित किया गया है:
- श्रेणी 1 में 17 मुस्लिम समुदायों को OBC घोषित किया गया है, जिनमें नदाफ, पिंजर, दरवेश, छप्परबंद, कसाब, फुलमाली (मुस्लिम), नालबंद, कसाई, अथारी, शिक्कालिगारा, सिक्कालिगर, सालाबंद, लदाफ, थिकानगर, बाजीगारा, जोहारी और पिंजारी शामिल हैं।
- श्रेणी 2A में 19 अन्य मुस्लिम समुदायों को OBC घोषित किया गया है।
यह फैसला देश में राजनीतिक बहस छेड़ने का कारण बन गया है। कुछ लोगों का समर्थन है, जबकि कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं।