Saturday, March 22, 2025
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कर्नाटक में मुख्यमंत्री और विधायकों की सैलरी दोगुनी, मुस्लिम कॉन्ट्रैक्टर्स को सरकारी टेंडर में 4% आरक्षण

बेंगलुरु, कर्नाटक: कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सरकार द्वारा पेश किया गया वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी संबंधी विधेयक पास हो गया है। इसके तहत मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों की सैलरी दोगुनी कर दी गई है। इसके साथ ही राज्य में मुस्लिम कॉन्ट्रैक्टर्स को सरकारी टेंडरों में 4% आरक्षण देने वाला विधेयक भी विधानसभा में पारित कर दिया गया।

मुस्लिम कॉन्ट्रैक्टर्स को आरक्षण पर मचा हंगामा

कर्नाटक विधानसभा में मुस्लिम कॉन्ट्रैक्टर्स को सरकारी टेंडरों में 4% आरक्षण देने के फैसले पर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया। हालांकि, सिद्धारमैया सरकार ने बहुमत के आधार पर इस बिल को पास करा लिया। सरकारी टेंडरों की अधिकतम सीमा 2 करोड़ रुपये तय की गई है, जिसके तहत मुस्लिम कॉन्ट्रैक्टर्स को प्राथमिकता दी जाएगी।

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इस फैसले के बाद विधानसभा में तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली। विपक्षी दलों ने सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही को कुछ समय के लिए स्थगित भी करना पड़ा।

मुख्यमंत्री और विधायकों की सैलरी में हुई बढ़ोतरी

कर्नाटक में विधानमंडल वेतन, पेंशन और भत्ते (संशोधन) अधिनियम, 2025 के पारित होने के बाद मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों की सैलरी में बड़ा इजाफा किया गया है।

  • मुख्यमंत्री की सैलरी:
    ₹75,000 से बढ़ाकर ₹1,50,000 प्रति माह कर दी गई।
  • मंत्रियों की सैलरी:
    ₹60,000 से बढ़ाकर ₹1,25,000 प्रति माह हो गई।
  • विधायकों की सैलरी:
    ₹40,000 से बढ़ाकर ₹80,000 प्रति माह कर दी गई।
  • विधानसभा और विधान परिषद के सभापति:
    ₹75,000 से बढ़ाकर ₹1,25,000 प्रति माह हो गई।

भत्तों में भी की गई बढ़ोतरी

सैलरी में बढ़ोतरी के साथ-साथ मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों को मिलने वाले भत्तों में भी इजाफा किया गया है।

  • आवास भत्ता
  • यात्रा भत्ता
  • भोजन भत्ता
  • संवाद भत्ता

इसके अलावा विधान परिषद के उपसभापति, विधानसभा उपाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, सत्ता पक्ष और विपक्ष के चीफ व्हिप को भी वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी का लाभ मिलेगा।

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विपक्ष ने बताया जनभावनाओं के खिलाफ निर्णय

विपक्षी दलों ने इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए इसे जनभावनाओं के खिलाफ बताया। उनका कहना है कि जनता महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही है, ऐसे में नेताओं की सैलरी और भत्ते बढ़ाना अनुचित है।

वहीं, सरकार का तर्क है कि यह वेतन वृद्धि कई वर्षों बाद की जा रही है और इसका उद्देश्य विधायकों और मंत्रियों को बेहतर कार्यप्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करना है।

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